इस समय भारत सहित दुनिया के बाजार एक अजीब सी परिस्थिति से जूझ रहे हैं। पैसा होने के बावजूद आप कुछ खरीद नहीं पा रहे हैं। ऐसा हो सकता है कि आपके पास पैसा हो और आप इस वक्त अपनी पसंद की कार नहीं खरीद पाएं। कुछ ऐसा ही हाल आपको कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन के बाजार में भी देखने को मिल जाएगा। इतना ही नहीं, यह भी संभव है कि पैसे का भुगतान करने के बावजूद आपको जरूर मेडिकल उपकरण भी समय पर न मिल पाए।
दरअसल, इस वक्त पूरी दुनिया एक खास तरह की चीज जिसे सेमिकंडक्टर कहा जाता है, उसकी भारी कमी से जूझ रही है।

इसी सेमिकंडक्टर की बदौलत ही आज की दुनिया दौड़ रही है। दुनिया में जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद हैं या जिन चीजों में इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल होता है वे सभी संकट के दौर से गुजर रहे हैं और इस कारण देश में त्योहारी सीजन में भी बाजार में ऐसे उत्पाद नहीं मिल रहे हैं।
संकट आने का कारण

महामारी ने बीते साल से पूरी दुनिया में सप्लाई चेन को पटरी से उतार दिया। वैश्विक स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग के हब कहे जाने वाले देशों चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के साथ वियतनाम और जर्मनी जैसे देश इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित थे।

इन देशों में उत्पादन पर भारी असर पड़ा और इसी कारण वैश्विक स्तर पर सप्लाई प्रभावित हुई। इस बीच महामारी में कार और अन्य वाहनों की बिक्री घट गई तो कंपनियों ने सेमिकंडक्टर खरीदना कम कर दिया, वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के दौरान पूरी दुनिया में लौपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई।
अचानक बढ़ी उत्पादों की मांग

इस कारण सेमिकंडक्टर का एक बड़ा हिस्सा इन क्षेत्रों को जाने लगा है। लेकिन लॉकडाउन खत्म होने और उद्योगों के फिर से पटरी पर आने के कारण ऑटोमोबाइल सेक्टर में सेमिकंडक्टर की मांग अचानक बढ़ गई। इस तरह पूरी दुनिया में सेमिकंडर की सप्लाई चेन गड़बड़ा गई।
अब जानकार कह रहे हैं कि यह समस्या जल्दी ठीक नहीं होने वाली क्योंकि सेमिकंडक्टर बनाना एक जटिल काम है और दुनिया की कुछ चुनिंदा कंपनियां ही इसे बनाती है। रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2023 तक बाजारों को इस चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
कितना प्रभावित हुआ भारत

वैश्विक स्तर पर चिप संकट की वजह से भारत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारत में चिप का निर्माण नहीं होता। इसके लिए हम पूरी तरह से आयात पर निर्भर हैं।
चिप की कमी के कारण इस वक्त बाजार में कार से लेकर लैपटॉप तक हर चीज की कमी चल रही है। जिसकी वजह से प्रमुख कार निर्माता कंपनियां जैसे मारुति, Hyundai और महिंद्रा अपने ग्राहकों को समय पर डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं।
मारुति ने घटाया 60 फीसदी उत्पादन

सितंबर का महीना भारतीय बाजार में त्योहारी सीजन के लिहाज से बेहद अहम है। लेकिन इस महीने में देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपना उत्पादन लगभग आधा करना पड़ता है।
बता दें कि सितंबर में देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने उत्पादन में 60 फीसदी तक की कटौती की। वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा का कहना है कि उसे अपने उत्पादन में 20 से 25 फीसदी की कमी करनी पड़ी।
5 लाख से अधिक कारों की डिलिवरी पेंडिंग

इस संकट का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि देश में अभी पांच लाख से अधिक कारों की डिलीवरी पेंडिंग हैं। इसमें अकेले मारुति के कारों की संख्या 2.15 लाख से अधिक हैं।
वहीं Hyundai एक लाख से अधिक कारों की बुकिंग ले चुकी है। लेकिन फिलहाल उसके पास सप्लाई के लिए गाड़ियां नहीं हैं। KIA, Nissan और Toyota की गाड़ियों के साथ भी यही हाल है।
3 से 6 माह है इन कारों की वेटिंग

इस समय मारुति की एक सबसे लोकप्रिय हैचबैक कार स्विफ्ट की वेंटिंग 3 माह है। वहीं Hyundai की i20 की वेटिंग 4-5 महीने की है। SUV में Brezza की वेटिंग तीन माह तो Hyundai की Creta के लिए आपको 6 से 7 महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है।