अंग्रेजो ने भारत पर कई सालों तक राज किया है या ये कहूं कि कई सालों तक भारत में रहकर ही भारत को लूटा और जब यहां से देश छोड़कर जाने का समय आया तब भी बचीकुची अमूल्य वस्तुएं यहां से चुरा ले गए। ब्रिटेन ने दुनिया भर से कुछ न कुछ जरुर चुराया है और भारत से तो ऐसी कीमती चीजे लेकर गया है जिनकी कीमत आज अरबो में है। अगर आपको यकीन नहीं है तो आप कभी खुद जाकर ब्रिटिश का म्यूजियम देख आइये। जहां उसने हमारे देश से चुराई गयी हर एक चीज को सजा रखा है।
उस म्यूजियम में आपको हर एक चीज के नीचे पढ़ने को भी मिल जायेगा कि कौन सी चीज किस देश से ब्रिटेन चुराकर लाया है और किसकी क्या कीमत है। आइये जानते है कि वो कौन–कौन सी चीजें हैं जो ब्रिटेन भारत से चुराकर ले गया।
कोहिनूर
आंध्र प्रदेश की कोयले की खान से निकला कोहिनूर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ये कोहिनूर मुगल बादशाह के मयूर सिंहासन में लगा हुआ करता था। 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया था। ये 21.6 ग्राम वजनी और 105.6 मीट्रिक कैरेट का हीरा है। इस समय ये टावर ऑफ़ लंदन के ज्वेल हाउस में रखा गया है और आज इसकी कीमत अरबो में है।
टीपू सुलतान की अंगूठी
इतिहास में हमने कई बार टीपू सुलतान का नाम पढ़ते आए हैं। 1799 में टीपू सुलतान और अंग्रेजो का युद्ध हुआ था जिसमें टीपू सुलतान वीरगति को प्राप्त हुए थे। अंग्रेज इतने बड़े लुटेरे थे कि उन्होंने मरे हुए टीपू सुलतान तक को नहीं छोड़ा और उनके शरीर से तलवार व उंगली में लगी अंगूठी को भी चुरा लिया था।
हालांकि अंग्रेजो ने टीपू सुल्तान की तलवार भारत को लौटा दी है जबकि अंगूठी आजतक अपने पास रखी हुई है और उसे देने से इंकार कर रहा है ब्रिटेन। कहा जाता है कि ब्रिटेन ने इस अंगूठी को 1,45,000 पाउंड यानी भारतीय रुपए के अनुसार करीब 11 करोड़ 80 लाख में नीलाम कर दिया था। इस अंगूठी पर भगवान राम का नाम देवनागरी में लिखा हुआ है।
शाहजहाँ का वाइन कप
शाहजहाँ के महल में एक से बढ़कर एक ऐसी चीजे थीं, जो उसके महल की शोभा को और ज्यादा बढ़ाती थीं। इनमे से एक था बहुमूल्य रत्नों से बना हुआ वाइन कप। यह कप शाहजहाँ के महखाने की शोभा बढ़ाता था। लेकिन एक दिन कर्नल चार्ल्स सेल्टों की नजर इस पर पड़ी और उसने इसे चुरा लिया। आज भी आप इस कप को विक्टोरिया एंड एल्बर्ट म्यूजियम (Victoria and Albert Museum) में देख सकते है।
रोसेत्ता स्टोन
रोसेत्ता स्टोन (rosetta stone) एक ऐतिहासिक पत्थर है जिस पर 3 अलग–अलग भाषाओं में कुछ लिखा हुआ है। ये सभी भाषाएं मिस्र (Egypt) की है जिसे पढ़ना किसी के बस की बात नही है। इस पत्थर को सबसे पहले नेपोलियन मिस्र से लेकर आया था जिसके बाद फ़्रांसिसी सेना को हराकर अंग्रेजो ने इसे भी चुरा लिया था। अब यह पत्थर लन्दन में ब्रिटिश संग्रहालय में रखा हुआ है।
अमरावती मार्बल्स
160 वर्ष पहले 1859 में अंगेजो को खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली थी, जिनको मद्रास से ब्रिटेन भेजा गया था। कई सालो तक ब्रिटेन ने इसी तरह भारत को लूटा और यहां की कीमती चीजे ब्रिटेन ले जाता रहा। आज ब्रिटेन के म्यूजियम में आपको ऐसी बहुत सी बेशकीमती चीजे देखने को मिल जाएगी जोकि भारत की है और आज ब्रिटेन के पास है।
इथियोपियाई पांडूलिपियाँ
भारत में जितनी भी कीमती चीजे थी ब्रिटेन सब चुराकर ले गया। 1869 में मगदल की लड़ाई में अंग्रेजो ने इथियोपिया के सम्राट को हरा दिया था और फिर उन पांडूलिपियों को चुरा ले गया जिसके लिए उन्होंने ये लड़ाई शुरू की थी। आज 12 इथियोपियाई धार्मिक पांडूलिपियों (Ethiopian Manuscripts) के अलावा और भी कई महत्वपूर्ण चीजे ब्रिटेन के संग्रहालय में मौजूद हैं।
अंग्रेज इतने बड़े चोर थे कि कोई भी चीज मांगकर या खरीदकर नही गये बल्कि सीधा चोरी करके ले गये थे। इतने सालो तक भारत में रहकर इसे लूटकर खा गये और जब इनका भारत छोड़ने का समय आया तब भी देश से कुछ न कुछ बेश कीमती चीजे चुराकर ले गये।
आज यह चुराई हुई चीजे ब्रिटेन अपने म्यूजियम में लगाकर लोगो को दिखा रहा है। हालंकि कुछ एक चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में खुद ब्रिटेन भी इतनी जानकारी नही रखता जितना कि भारत रखता है।
उस समय भारत के पास इतना सोना था जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते और इसी कारण भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। अंग्रेजो की इस पर बुरी नजर थी। आज जो कुछ भी ब्रिटेन के पास है वह भारत की ही देन है। यहां से चुराकर ही आज उसके पास हमारी कीमती चीजे है। जिन्हें वह कभी लौटना नहीं चाहेगा।