हरियाणा में डीसी रेट के नाम को बदल दिया गया है वहीं इसको अलग अलग तीन जोन में बांट दिया गया है। अब महंगे और सस्ते शहरों के मुताबिक जिलों के डीसी रेट तय किये गए हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पहले डीसी रेट अपने हिसाब से तय कर दिये जाते थे, लेकिन अब इस प्रकार का फॉर्मूला नहीं चलेगा। उन्होंने बताया कि अब डीसी रेट नाम तय नहीं होंगे बल्की निगम रेट के नाम से इसे जाना जाएगा।
ग्रुप ए में फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत और पंचकूला।
ग्रुप बी में पानीपत, झज्जर, करनाल, अंबाला, पलवल, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी और जींद शामिल हैं।
ग्रुप सी में महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूंह और चरखी दादरी शामिल हैं।
हरियाणा में कच्चे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। अब उनके डीसी रेट अब हर साल पांच फीसद तक बढ़ेगा। जिलों की बजाय जोन के अनुसार डीसी रेट तय होंगे। डीसी रेट अकुशल, अर्धकुशल और कुशल श्रमिकों की मजदूरी होती है, जो उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति द्वारा तय की जाती है। अब न्यूनतम मजदूरी तथा जिला विशेष उपभोक्ता मूल्य के सिद्धांतों पर डीसी रेट तय किया जाएगा।
प्रदेश को तीन जोन में बांटा, जिलों की बजाय जोन के अनुसार होंगे डीसी रेट
मुख्य सचिव के नेतृत्व में सामान्य प्रशासन विभाग सभी श्रेणियों और जिलों के लिए डीसी रेट तय करेगा। इससे इन दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा जिससे कर्मचारियों को लाभ होगा। मकान का किराया, सब्जी की कीमतें, स्कूल फीस के आधार पर डीसी रेट निर्धारित किया जाएगा।
जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। ए श्रेणी में गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और सोनीपत तथा बी श्रेणी के शहरों में पानीपत, झज्जर, पलवल, करनाल, अंबाला, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी और जींद को रखा गया है। महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूंह और चरखी दादरी सी श्रेणी के जिलों में रखे गए हैं।
अभी तक डीसी रेट का निर्धारण जिला विशेष और मुख्य रूप से प्रचलित न्यूनतम मजदूरी तथा जिला विशेष श्रम दरों पर किया जा रहा था। सभी जिलों में मजूदरी की दरों में काफी अंतर है। डीसी दरों में वृद्धि न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि के अनुपात में नहीं होने के कारण या तो बहुत अधिक या बहुत कम है। मुद्रास्फीति आदि जैसे मापदंडों के आधार पर डीसी रेट में संशोधन भी संस्थागत नहीं है। प्रदेश सरकार के डीसी रेट में संशोधन के निर्णय से कर्मचारियों को लाभ होगा।