मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी के संकट के समय में कुशल वित्तीय प्रबंधन से हरियाणा सरकार वर्ष 2020-21 की 5 प्रतिशत स्वीकृत सीमा के मुकाबले राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी का 2.90 प्रतिशत बनाए रखने में सक्षम रही है। राज्य ने अपनी ऋण देयता को भी सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है, क्योंकि 2020-21 में जीएसडीपी अनुपात का ऋण 23.27 प्रतिशत था।
हरियाणा की अर्थव्यवस्था के पुनः उत्थान के लिए रणनीति ‘वी आकार’ की रिकवरी प्राप्त करने और अर्थव्यवस्था के पुनः उत्थान का मार्ग प्रशस्त करने के लिए हमने चार स्तंभों पर आधारित रणनीति बनाई है ।
उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था की रिकवरी और पुनरुत्थान के लिए स्वास्थ्य, कृषि और आधारभूत संरचना विशेष रूप से सड़कों और रेल की पहचान मुख्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में की गई है । एम.टी.ई.एफ. रिजर्व फंड पूंजी निवेश के माध्यम से हरियाणा की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने बजट में मध्यम अवधि का व्यय ढांचा बनाकर बड़ी पूंजी की परियोजनाओं के लिए एक नई रणनीति तैयार की है ।
इसके तहत बजट 2021-22 में मध्यम अवधि के व्यय ढांचे (एम.टी.ई.एफ. ) के रूप में 8,585 करोड़ रुपये की एक संयुक्त निधि आवंटित की गई है, जो महत्वपूर्ण बदलाव है। एम.टी.ई.एफ. का उपयोग स्वास्थ्य , कृषि और बुनियादी ढांचे पर केंद्रित अति विशिष्ट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए किया जाएगा ।
इन विशेष परियोजनाओं में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार जैसे कि जिला अस्पतालों को अपग्रेड करके 200 बिस्तरों का बनाना , मातृ एवं शिशु अस्पतालों की स्थापना आदि , गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय बागवानी बाजार , सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं , ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर , दिल्ली और करनाल के बीच हाई स्पीड रेल कनेक्टिविटी तथा गुरुग्राम और अन्य क्षेत्रों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार करना आदि शामिल है।
राज्य सरकार ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि सार्वजनिक धन का आवंटन और खर्च विशिष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए सकारात्मक और विशिष्ट परिणामों को लक्षित करते हुए किया जाए ।