हरियाणा में अधिकतर लोग बस से यात्रा करते है। जैसा कि आपको पता है कि हरियाणा रोडवेज सरकारी बसे है और लोग इन्ही में सफर करना पसंद करते है। मगर हरियाणा अभी एक योजना लाई है जिसमे स्थानियों रूटो पर बसों की फीसदी परसेंटेज भी तय की गईं है। अब ग्रामीण क्षेत्रो में भी बस सेवाएं जारी होंगी। पूरी जानकारी के लिए खबर को अंत तक पढ़े।
हरियाणा में बस में यात्रा करने वालो के लिए खुशखबरी आई है। हरियाणा परिवहन विभाग ए, बी, सी श्रेणी में अनुपातिक तौर पर रोडवेज और निजी बसें चलाने की योजना बना रहा है।

इस योजना से यात्रियों को बहुत लाभ होगा। इस योजना के अनुसार स्थानीय रूटों पर रोडवेज बसों को सिर्फ 20 फीसदी व निजी को 80 फीसदी परमिट दिए जाने का प्रस्ताव है।

आपको यह भी बता दे, अंतरराज्यीय रूट पर 20 फीसदी निजी व 80 प्रतिशत सरकारी बसें चलाई जाएंगी। विभाग की यह योजना जल्द ही कार्य में लिया जाएगा। वहीं बता दे, अंतरजिला रूट पर निजी व रोडवेज को 50-50 फीसदी परमिट मिलेंगे।

आपको बता दे, विभाग के इस योजना के खिलाफ हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने निर्णायक आंदोलन की चेतावनी दे दी है। कर्मचारी यहीं नहीं रुके। उन्होंने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री, प्रधान सचिव परिवहन विभाग व महानिदेशक को ज्ञापन भेजकर नई योजना लागू न करने का अनुरोध किया है।

कर्मचारियों के प्रदेश अध्यक्ष इंद्र सिंह बधाना व महासचिव सरबत सिंह पूनिया ने इस कदम की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ए, बी, सी श्रेणी में निजी ऑपरेटर को परमिट देना निजीकरण की तरफ कदम बढ़ाना है। निजी बसों से सरकार को पहले ही बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।

आपको बता दे, उन्होंने कहा कि निजी बस मालिक प्रति बस प्रति माह एकमुश्त केवल 14 हजार रुपये टैक्स सरकार को दे रहे हैं। वहीं, अगर बात करें हरियाणा रोडवेज की बस की, तो उसका प्रति माह 40 से 60 हजार रुपये तक टैक्स भरा जाता है। अब सरकार नया फॉर्मूला लाकर मनमानी कर रही है।

इस पर, दोनों कर्मचारी नेताओं ने कहा कि विभाग स्टेज कैरिज स्कीम 2016 में लंबी दूरी व मुख्य मार्गों पर परमिट देकर पहले ही मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन कर चुका है। अब फिर बेवजह कानून लाया गया है। प्रदेश में आए दिन किलोमीटर स्कीम व निजी बस मालिकों की मनमानी बढ़ती जा रही हैं।

आपको बता दे, रोडवेज की बसें अनेक बार कम दुर्घटना, कम डीजल में ज्यादा किलोमीटर चलने, जनता को बेहतर व सुरक्षित परिवहन सेवा देने का उदाहरण पेश कर चुकी है। वहीं, देशभर के 68 सरकारी व अर्ध सरकारी उपक्रमों में प्रथम स्थान पर है। इसके बाद भी सरकार अपनी मनमानी पर उतारू है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेज कैरिज स्कीम 2016-17 को रद करने एवं संशोधन करने की छूट दी है। विभाग इसमें संशोधन कर अनुपातिक प्रणाली की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है, जिसे लागू नहीं होने देंगे। सरकार को प्रति वर्ष 2000 सरकारी बसें रोडवेज बेड़े में शामिल करनी चाहिए, न कि ऐसे बेवजह के फॉर्मूले लागू करे।