दुनिया में कई ऐसी रहस्यमयी चीज़े है जिसके बारे में शायद आपको पता नहीं होगा, तो चलिए आपको बता देते है कि कुछ ऐसे रहस्मयों के बारे में, क्या आपको पता है कि आसमान में लाल चांद को देखकर भेड़िए चिल्लाने लगते हैं। क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे की सच्चाई क्या है तो चलिए हम आपको बताते है। दरअसल सुपर ब्लड वुल्फ मून जिसका रंग रोज निकलने वाले चन्द्रमा से काफी अलग होता है।
जो जनवरी में आने वाली पूर्णिमा के दिन दिखाई देता है इसे वुल्फ मून इसलिए कहा जाता है क्योंकि पौराणिक समय से ही सर्दियों में वादियां बर्फ घिरी हुई होती थी और इस समय भेड़ियों की आवाज़ कुछ ज्यादा आती है और यही कहा जाता है कि आसमान में लाल चांद को देखकर भेड़िए चिल्लाने लगते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक, जब चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले धरती के सबसे करीब यानी 3,63,000 किमी की दूरी पर होता है।

तब वह और अधिक चमकदार और बड़ा दिखाई देने लगता है। इस दौरान चांद का रंग लाल तांबे जैसा नजर आता है। लोगों का ऐसा मानना है कि पूर्णिमा की रात को भोजन की तलाश में सुनसान काली रात में निकलने वाले भेड़िये आसमान में लाल चांद को देखकर जोर-जोर से आवाज लगा कर चिल्लाते हैं। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को वुल्फ मून भी कहा जाता है।

बताते चले कि ग्रहण के समय सूर्य की किरणे धरती से हो कर चंद्रमा पर पड़ती हैं तो इस ग्रह की छाया पड़ने कि वजह से चंद्रमा का रंग ग्रहण के दौरान बदलने लग जाता है। नासा में हुए एक रिसर्च के अनुसार सुपर मून होने पर चंद्रमा सामान्य दिनों की अपेक्षा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत और चमकदार हो जाता है।