देश में ही बनाई जा रही वंदे मातरम रेल का जल्द ही लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। आम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की है। दिल्ली से लेकर हरियाणा, पंजाब और जम्मू कश्मीर के लोगों को इसका सीधा फायदा मिलने जा रहा है। बता दें कि वंदे मातरम रेल का निर्माण अपने देश में हो रहा है, इसके डिजाईन का काम भी पूरा हो चुका है, जल्द ही रेल की टेस्टिंग प्रक्रिया आंरभ होने जा रही है, जिसके बाद देश की पटरियों पर वंदे मातरम ट्रेन दौड़ती हुई नजर आएगी। देश में करीब 400 नई रेल चलाने की योजना है, प्रथम चरण में 88 वंदे मातरम ट्रेनों को पटरियों पर उतारने की योजना को हरी झंडी दे दी गई है।
इसके अंतर्गत सबसे अधिक लाभ दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और कटरा आने जाने वाले यात्रियों को होने वाला है। प्रथम चरण में दिल्ली से चंडीगढ़, नई दिल्ली से अमृतसर और नई दिल्ली से वैष्णोदेवी कटरा के लिए कई वंदे मातरम रेल चलाई जाएंगी।
हालांकि नई दिल्ली से कटरा के बीच पहले से ही एक वंदे मातरम रेल चल रही है, जोकि पूरी तरह से सफल रही है। इसके बाद ही इस रूट पर कई और रेल चलाए जाने की तैयारी की जा रही है। बता दें कि देश की पहली सेमी हाई स्पीड रेल के तौर पर वंदे मातरम पूरी तरह से सफल रही है।
इन रूटों पर चल रही है वंदे मातरम
फिलहाल वंदे मातरम रेल देश के कई प्रमुख रूट पर दौड़ भी रही है। इनमें प्रमुख तौर पर नई दिल्ली से वाराणसी, नई दिल्ली से कटरा और पंजाब के कई शहरों में भी इस रेल की पहुंच हो गई है। इससे देश भर के लाखों लोगों को लाभ मिला है।
जानकारी के अनुसार चेन्नई की इंटीग्रिल फैक्ट्री में ट्रेन बनकर तैयार होने लगी हैं। इसकी एक बड़ी खेप अगस्त तक तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत करीब 75 रेलों को पटरियों पर उतार दिया जाएगा। इससे लोगों की रेल यात्रा बेहद सुगम हो जाएगी और वह आसानी से सस्ती टिकट पर तेज रफ्तार रेलों की यात्रा कर सकेंगे।
इन प्रोजेक्ट पर चल रहा है काम
इसके अलावा भी रेल मंत्रालय द्वारा कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है, ताकि हाईस्पीड रेलों को आसानी से चलाया जा सके। इसके लिए 189 नई रेल लाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया गया है, जिस पर तेज रफ्तार रेलें आसानी से फर्राटा भर सकेंगी।
इसके अलावा भी 1471 किलोमीटर डबल लाइन बिछाने की योजना तेज गति से चल रही है। रेलों की रफ्तार बढ़ाने के लिए 23800 किलोमीटर तक विद्युतीकरण कस कार्य दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
इसके अलावा मालगाड़ियों के चलने केे लिए भी अलग से फ्रंट कॉरीडोर विकसित किए जा रहे हैं, ताकि वह भी तेज गति और जल्द से जल्द अपनी मंजिल पर पहुंच सकें। इसका लाभ यह होगा कि मालगाड़ियों में जाने वाला सामान जल्द से जल्द पहुंच सकेगा।