घूसखोरी के तो अपने कई मामले सुने होंगे। आपने भी कभी न कभी देखा होगा कि किसी भी विभाग का एक न एक अधिकारी भ्रष्टाचारी होता है, घूसखोर होता है लेकिन आज जिस दफ्तर के बारे में हम आपको बताएंगे वह पूरा ही घूसखोर है यानी दफ्तर का हर अधिकारी चाहे वह बड़े पद पर हो या छोटे पद पर हर कोई घूसखोर है। आज हम आपको राजस्थान में हुई एक छापेमारी के बारे में बताएंगे जहां एक महिला अधिकारी ने पकड़े जाने पर एंटी करप्शन ब्यूरो को बड़ा ही अजीब जवाब दिया। हाल ही में राजस्थान में घूसखोरी का बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें पूरा का पूरा दफ्तर ही घूस लेते पकड़ा गया है। इतना ही नहीं, पकड़े जाने पर राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी ने तर्क दिया कि जब कोई मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आए तो कैसे मना करें।
जानकारी के अनुसार जयपुर शहर के विकास का जिम्मा संभालने वाले जयपुर विकास प्राधिकरण की डिप्टी कमिश्नर समेत पूरा दफ्तर घूसखोरी के मामले में रंगे हाथों पकड़ा गया है। घूस लेते हुए पकड़े जाने के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी ममता यादव एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों के सामने हंस रही थीं। उनका कहना था कि जब कोई मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आए तो भला कैसे मना कर सकते हैं।
एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत की गई थी कि जवाहर सर्किल के सिद्धार्थ नगर में एक व्यक्ति अपनी पुश्तैनी जमीन का पट्टा लेना चाह रहा था। इसके बदले डिप्टी कमिश्नर ममता यादव साढ़े छः लाख रुपये और जूनियर इंजीनियर श्याम 3 लाख रुपये मांग रहे थे।
शिकायत मिलने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने JDA में जाल बिछाया और फिर RAS अधिकारी ममता यादव, जयंत श्याम, नक्शा पास करने वाला कर्मचारी विजय मीणा, अकाउंटेंट राम तूफान मंडोतिया समेत कंप्यूटर ऑपरेटर अखिलेश मौर्य सभी घूस लेते रंगे हाथों पकड़े गए।
यह पहली बार हुआ है कि पूरे जोन के अधिकारी ही घूस लेते एक साथ पकड़े गए हैं। जयपुर के जोन 4 के अधिकारी पट्टा बांटने के काम में लगे हुए थे। एंटी करप्शन ब्यूरो ने JDA के पार्किंग एरिया से घूस लेते हुए पकड़ने की कार्रवाई शुरू की। काम काफी गुप्त ढंग से हुआ और आखिर में डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर तक अधिकारी पहुंच गए।