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जमीनी-हद को लेकर हो रहे राज्यों में विवाद, हरियाणा की सीमाओं पर लगाए जाएंगे पिलर

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हरियाणा की दूसरे राज्यों के साथ लगती सीमा पर पूरे प्रदेश में पिल्लर लगाए जाएंगे ताकि बॉर्डर एरिया में रहने वाले लोगों के बीच विवाद उत्पन्न न हों। पानीपत जिला से इसकी शुरूआत कर दी गई है। हरियाणा विधानसभा के सत्र के दौरान सदन के एक सदस्य द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि हरियाणा प्रदेश की पंजाब, दिल्ली, यूपी, हिमाचल प्रदेश व राजस्थान के साथ सीमा लगती है जहां पर कई बार लोगों के बीच अपनी जमीनी-हद को लेकर परस्पर विवाद होते रहते हैं, इनके समाधान के लिए राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश की सीमा पर पिलर लगाने का निर्णय लिया है।

इसके साथ ही उन्होंने सदन को अवगत करवाया कि हरियाणा-यूपी बॉर्डर पर पिल्लर लगने की प्रक्रिया पानीपत में शुरू हो चुकी है। इसमें एक साल में पांच रेफरेंस पिलर, 91 सब रेफरेंस पिलर तथा 2423 बाउंड्री पिलर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

दोनों प्रदेशों के बीच सीमा-विवाद के मामले पर डिप्टी सीएम ने बताया कि हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश सीमा विवाद के समाधान हेतु एक अधिनियम नामत: ‘हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम, 1979’ को भारत सरकार द्वारा ‘अधिनियम संख्या 31 ऑफ 1979’ द्वारा अधिसूचित किया गया था।

इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार भारत सरकार द्वारा ‘दीक्षित अवार्ड’ पारित किया गया था और दोनों राज्यों में सीमाओं के मध्य भारतीय सर्वेक्षण विभाग की सहायता से बाउंड्री पिल्लर स्थापित किए गए थे। लेकिन यमुना नदी के बहाव के कारण तथा समय के साथ वह बाउंड्री-पिल्लर नदी में बह गए हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मध्य लखनऊ में 14 दिसंबर 2019 को तथा दोनों राज्यों के अधिकारियों के मध्य 9 जनवरी 2020 को चण्डीगढ़ में एक बैठक हुई थी। यह मामला सर्वे ऑफ इण्डिया के साथ भू-सीमांकन हेतु टेकऑफ किया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जहां तक समालखां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में राणा माजरा से गांव सीमबलगढ़ तक यमुना नदी के साथ-साथ 42 किलोमीटर स्थित गांवो की भूमि का संबंध है, वह राजस्व अभिलेखों में ‘शामलात देह’ है।

इसलिए कानून के अनुसार ग्रामीणों के पास कब्जा व गिरदावरी होने के उपरान्त भी स्वामित्व की प्रविष्टियां राजस्व अभिलेखों में उनके नाम करना संभव नहीं है।
जब प्रश्नकर्ता सदन के सदस्य ने वर्ष 2012 में उक्त जमीन के संबंध में कथित गड़बड़ी होने की बात कही तो दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अगर सदन के सदस्य मांग करेंगे तो इस बारे में जांच करवाई जा सकती है।

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