जैसे कि सबको पता ही है किस तरीके से भारत पर अंग्रेजों ने राज किया। उनका व्यापारी से हुकूमत तक का सफर भारत के लिए बहुत ही बुरा समय था। इस दौरान न जाने कितने क्रांतिवीरों ने अपनी जान दे दी। लेकिन आज हम आपको अंग्रेजों द्वारा हरियाणा में बनाए गए पहले इंग्लिश मीडियम स्कूल के बारे में बताएंगे। साल 1962 में कैथल में यह स्कूल खोला गया था और इसे भी अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के लिए ही खोला था। पहला कारण तो यह की जो अंग्रेजी बाबू इंग्लैंड से भारत आएंगे उनके लिए काफी खर्च वहन करना पड़ेगा, तो अंग्रेजों ने सोचा कि क्यों ना यहीं पर स्कूल खोलकर भारतीय लोगों को अंग्रेजी भाषा सिखाई जाए और उन्हें क्लर्क बनाया जाए।
दूसरी वजह यह है कि अगर यहां के लोग अंग्रेजी सीख कर क्लर्क बनेंगे तो वह दूसरे भारतीयों से अपने आप को ऊंचा समझने लगेंगे और उनसे दूरी बना कर रखेंगे जिस वजह से उनके बीच फूट पड़ जाएगी और इसका फायदा ब्रिटिशर्स को ही होगा। और यही कारण था कि अंग्रेजों ने पूरे भारत में अंग्रेजी स्कूल खोलने की योजना बनाई थी।

शिक्षा विभाग से रिटायर अध्यापक इतिहासकार प्रवीण कुमार ने बताया कि शहर के पार्क रोड पर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय प्राचीन जमाने का है। स्कूल में प्राचीन समय का पत्थर भी लगा हुआ है। अब यह स्कूल काफी विकसित हो चुका है और यह जिले का सबसे बड़ा सरकारी स्कूल है।

उन्होंने आगे बताया कि भाई उदय सिंह का प्राचीन किला भी इसी स्कूल के सामने ही है। इसके साथ ही स्कूल के पीछे एक ऐतिहासिक बावड़ी भी है। प्राचीन समय में दिल्ली से लाहौर जाने वाला जो राष्ट्रीय राजमार्ग था, कैथल उसका केंद्र बिंदु रहा है। सफर के दौरान मुसाफिर यहां बावड़ी पर रुकने के बाद पानी पीकर और थोड़ा आराम करने के बाद अपनी यात्रा फिर से शुरू करते थे।

इतिहासकार प्रवीण ने आकर बताया यह भी बताया कि स्कूल में लगा इमली का पेड़ भी सालों पुराना है। इस पेड़ पर वर्ष 1917 का एक पत्थर भी लगाया हुआ है, जो इसका इतिहास बयां कर रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि सन 18 सो 56 में ही अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी स्कूल खोलने की योजना बनाई थी। लेकिन विद्रोह के कारण यह कार्य सिरे नहीं चढ़ पाई। वर्ष 1862-63 तक अंग्रेजी हुकूमत विद्रोह को दबाने में सफल रही, जिसके बाद स्कूल खोलने का कार्य शुरू किया गया था।