कोरोना काल में लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। प्रकृति के प्रकोप के आगे किसी की नहीं चलती है, लेकिन यहाँ तो ये वायरस है। अब ये वायरस आया, कहाँ से, कैसे आया ये, किसी को कुछ नहीं पता। तमाम विशेषज्ञ सिर्फ और सिर्फ हवा में लठ चला रहे हैं। 2020 का वायरस चीन से आया था, लगातार कहा जा रहा था, लेकिन इस बार का वायरस कहाँ से और कैसे आया, ये किसी को नहीं पता।
इस कोरोना के चलते पूरे देश में कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है। लेकिन शादियां फिर भी हो रही हैं। अब ऐसे में चुनौती कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने की है। कुछ लोग इसका पालन कर रहे हैं तो कुछ लोग गाइडलाइंस की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।

सब अपने-अपने हिसाब से आगे बढ़ रहे हैं। समय की नज़ाकत को कोई नहीं समझ रहा है। इसीलिए पुलिस-प्रशासन ऐसे लोगों पर सख़्त है और कार्रवाई भी कर रही है। लेकिन ऐसे में एक शादी जो सभी के लिए नज़ीर बन चुकी है।

अगर लोगों के अंदर भाव हों तो सभी को ऐसे ही करना चाहिए, क्योंकि यही समय की मांग है। बतादें यूपी के शाहजहांपुर में हुई 17 मिनट की इस शादी में न तो न बैंडबाजा था और न ही लंबी चौड़ी बारात या कार बग्घी जैसी कोई चीज। यह यह अनोखी शादी पटना देव कली मंदिर में संपन्न हुई।

दूल्हा थाना कलान क्षेत्र के गांव सनाय के रहने वाले पुष्पेंद्र दुबे बने। वे एक शिक्षण संस्थान चलाते हैं और साथ ही भाजपा महामंत्री व मीडिया कर्मी भी हैं। इस अनोखी शादी को करने के पीछे का उनका उद्देश्य दहेज प्रथा को उखाड़ फेंकना था।

उन्होंने गुरुवार को घर के कुछ सदस्यों की उपस्थिति के बीच हरदोई की प्रीति तिवारी संग मंदिर की सात परिक्रमा कर फेरे लिये। बस इतना सा काम कर उन्होंने अपनी शादी फटाफट निपटा भी ली। ये शादी महज 17 मिनट में हो गई। अब ये शादी इलाके में चर्चा का विषय भी बनी हुई है।

इस शादी में दूल्हे ने ससुराल वालों से दहेज में रामायण की किताब ली। पुष्पेंद्र और प्रीति कहते हैं कि इस तरह की शादी कर हम युवा पीढ़ी को संदेश देना चाहते हैं कि वे भी साधारण सी शादी कर अनावश्यक खर्च और दहेज से बचें। दूल्हा दुल्हन की इस शादी की हर कोई तारीफ भी कर रहा है।
प्रीति कहती है कि इस दहेज प्रथा ने कई घरों को बर्बाद कर दिया है। इसलिए आज की युवा पीढ़ी को इसके विरोध में आगे आना होगा। भारत को युवाओं का ही देश कहा जाता है, क्योंकि यहां सबसे ज़्यादा युवाओं की जनसंख्या है। अब ऐसे में बड़ों को भी अपनी ज़िम्मेदारी लेनी होगी, तब जाकर युवा उस बनाए रास्ते पर चल सकेंगे।