भारत देश में हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली बड़े हर्षोल्लास से पूरे विश्व में मनाई जाती है।दीपावली त्यौहार की खास बात रात को पटाखों की गूंज के साथ अलग अलग सुंदर रंगों आसमान रंग बिरंगा हो जाता है। उस समय आसमान की सुंदरता देखते ही बनती है। लेकिन, प्रदूषण के चलते माननीय उच्च न्यायालय ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा रखा है तो वही ग्रीन पटाखे बजाने की अनुमति दी हुई है।
लेकिन, दिवाली पर अगर पटाखों की गूंज सुनाई नही देती है तो बच्चे दिवाली फीकी मानते है। इस बार महामारी की दूसरी लहर में लोगों में दीपावली को लेकर बड़ा उत्साह है। दीपावली के त्यौहार को लेकर लोग बड़े खुश नजर आ रहे हैं। बाजार सजने शुरू हो चुके हैं। चारों ओर रंग-बिरंगे फूलों से भगवानों की मूर्तियां और पूजा की सामग्री से लोगों ने स्टाल लगाने शुरू कर दिए हैं।

इस खुशी के बीच में पिछले कई वर्षों से पटाखों का व्यापार कर रहे व्यापारियों के चेहरे पर उदासी नजर आ रही है। पटाखों पर प्रतिबंध लगने से आम जनता भी कुछ निराश है। पटाखों के विक्रेता सुनील का कहना है कि पिछले 2 साल से पटाखों को बेचने के लिये लाइसेंस रिन्यू नहीं हो रहा है। क्योंकि एनसीआर में पटाखों पर पाबंदी लगा दी गई है।

उन्होंने कहा कि पटाखों का व्यापार पिछले कई वर्षो से बिल्कुल खत्म हो चुका है। सुनील ने बताया कि हर वर्ष दीपावली पर 8 से 10 लाख के पटाखे बेचते थे। लेकिन प्रदूषण के चलते पटाखों की बिक्री बंद हो चुकी है। वही ग्रीन पटाखों की बात की तो उन्होंने कहा कि अभी ग्रीन पटाखे भी अभी नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रीन पटाखे अभी बाजार में सही ढंग से अपने पैर नहीं जमा पाया है।

पानीपत के स्थानीय नागरिक देवेंद्र नरूला का कहना है कि दीपावली हिंदू का सबसे बड़ा त्यौहार है। उन्होंने कहा कि पटाखों के बगैर दिवाली नहीं मनाई जा सकती है। दीपावली पर बच्चे पटाखे बजाकर ही खुश होते हैं।वहीं उन्होंने कहा कि दिवाली पर प्रतिबंध हटाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रदूषण कम हो इसके लिए सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है। दीपावली पटाखों के बगैर नहीं हो सकती। इसलिए कुछ घंटे पटाखे बजाने की अनुमति तो मिलनी ही चाहिए।
