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Russia-Ukraine युद्ध से हो रहा हरियाणा के किसानों का फायदा, इस फसल का मिल रहा अधिक भाव

रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच छिड़ी लड़ाई की आंच अब भारत (India) तक पहुंच गई है। इसके चलते हरियाणा (Haryana) में सरसों की फसल की कीमतों में खासा उछाल देखने को मिल रहा है। प्रदेश सरकार (Haryana Government) द्वारा सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5050 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। लेकिन प्राइवेट एजेंसियां 7000-7200 रुपए प्रति क्विंटल तक सरसों खरीद रही है। रादौर अनाज मंडी (Radaur Grain Market) में इन दिनों 250-300 क्विंटल सरसों हर दिन पहुंच रही है।

बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि रूस और यूक्रेन दोनों सूरजमुखी उत्पादक देश है और दोनों देश बड़ी मात्रा में सूरजमुखी तेल का आयात करते हैं। लेकिन जंग की वजह से तेल आयात पर रोक लगी हुई है जिसके चलते सरसों तेल की डिमांड बढ़ गई है।

दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि महामारी (Pandemic) के कारण पिछले दो साल से मलेशिया (Malaysia), इंडोनेशिया (Indonesia) और फिलिपिंस (Phillipines) से पाम ऑयल (Palm Oil) का आयात नहीं हुआ है। हरियाणा (Haryana) के कई जिलों में बड़े रकबे पर सरसों की खेती (mustard cultivation) होती है और सरसों की कीमत (Price) पिछली साल से पहले ही ज्यादा थी। अब रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग (War) से और अधिक असर देखने को मिल रहा है।

इन जिलों में हो रहा अधिक उत्पादन

हरियाणा के सिरसा (Sirsa), हिसार (Hisar), भिवानी (Bhiwani), चरखी दादरी (Charkhi Dadri), महेन्द्रगढ़ (Mahendragarh), रेवाड़ी (Rewari), झज्जर (Jhajjar), मेवात (Mewat) व पलवल (Palwal) जिले में बड़े स्तर पर सरसों फसल (mustard crop) की खेती (Farming) प्रमुखता से की जाती है। खास बात तो यह है कि इस बार पिछले साल से करीब 10% रकबे पर सरसों की खेती अधिक है। इन जिलों में जौ (Barley), चने (Gram) की खेती का एरिया सरसों (Mustard) में कन्वर्ट हो गया है।

भाव बढ़ने से किसान खुश, हाथों-हाथ हो रही बिक्री

आढ़ती एसोसिएशन (Arhtiya Association) के जिला प्रधान शिव कुमार संधाला ने बताया कि इस बार सरसों (Mustard) के भाव में अच्छा-खासा उछाल देखने को मिल रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपये है, लेकिन प्राइवेट एजेंसियां (Private Agencies) किसानों की सरसों को 7000-7200 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीद रही हैं।

ऊंचा भाव मिलने की खुशी किसानों के चेहरों पर साफ नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि तेल (oil) की कीमतों में उछाल की वजह से सरसों (Sarso) की डिमांड बढ़ी है और आने वाले दिनों में भाव में और तेजी दर्ज हो सकती है।

बढ़ेगा सूरजमुखी का रकबा

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. जसविंद्र सैनी ने बताया कि इस बार सूरजमुखी (Sunflower) का रकबा भी बढ़ने की संभावना है क्योंकि रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच छिड़ी जंग का असर भविष्य में भी दिखाई देगा। हरियाणा (Haryana) में भी सूरजमुखी का रकबा (sunflower area) बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। शुरुआती दौर में किसानों (Farmers) में काफी रूझान भी देखने को मिल रहा है।

Rajni Thakur

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