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हरियाणा में पराली नष्ट करने का नया तरीका, 5 लाख एकड़ जमीन पर होने वाला है इस दवाई का छिड़काव

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि इस वर्ष खेतों में पराली को नष्ट करने और पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए 5 लाख एकड़ भूमि पर पुसा डिकम्पोजर दवाई का छिड़काव किया जाएगा। इसके अलावा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए और भी कारगर कदम उठाए जाएगें ताकि लोगों के जीवन पर दुष्प्रभाव न पड़े। सड़क व खुले क्षेत्र में उड़ने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए एनसीआर में 17 धूल नियंत्रण एवं प्रबंधन सैल स्थापित किए गए है। मुख्य सचिव आज यहां एयर क्वालिटी मैनेजमेंट नियंत्रण को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के दास, सुमिता मिश्रा, ए के सिंह, प्रधान सचिव विजेन्द्र कुमार, महानिदेशक कृषि डॉ. हरदीप सिंह सहित पर्यावरण विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

उन्होंने कहा कि एक लाख एकड़ भूमि पर कृषि विभाग तथा 4 लाख एकड़ भूमि पर यूपीएल कम्पनी सीएसआर फण्ड से गत वर्ष की भांति डिकम्पोजर दवा का छिड़काव करेगी। इसके छिड़काव से धान फसल के अवशेष आसानी से खत्म हो जाएगें और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा, जिससे किसानों को आगामी फसल की जुताई के समय किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पडे़गा।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए धान के अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त सक्रिय होकर कार्य करें। इसके अलावा, वार्षिक योजना भी जल्द से जल्द बनाकर मुख्यालय को भेजने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कृषि विभाग धान की पराली के अवशेष खत्म करने के लिए केयर प्रो का डिकम्पोजर भी उपयोग में लाएगा। उन्होंने कहा कि अधिक धान वाले जिले अम्बाला, फतेहाबाद, जीन्द, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र व सिरसा में फसल अवशेषों की आगजनी पर विशेष ध्यान रखा जाए।

उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भी ठोस कदम उठाए जाने बारे आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगाए गए ई चार्जिंग स्टेशनों की देखभाल की जाए ताकि लोग उनका आसानी उपयोग कर सकें।

उन्होंने कहा कि एनसीआर क्षेत्र के उद्योगों में प्रदूषण कम करने के लिए 1485 उद्योगों में से 630 उद्योगों को पीएनजी में बदलने का कार्य किया गया। इसके अलावा 855 उद्योगों को पीएनजी में शीघ्र ही बदला जाएगा ताकि इस क्षेत्र में प्रदूषण पर नियत्रंण किया जा सके।

उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग पराली अवशेष पर आधारित टोरिफाईड एण्ड नोन टोरिफाईड पेलेटस MSME हेतू इकोनोमिक डिटेल प्रोजेक्ट तैयार करेंगा। इसके साथ ही हर उद्योगपति अपनी आवश्यकताएं इनवायरमेंट इंजिनियिर के माध्यम से कृषि विभाग के पोर्टल भी पर अपलोड करेंगे।

मुख्य सचिव ने कहा कि उद्योगों में पराली से बनने वाले बायोमेस इंधन का उपयोग करने के लिए उद्योगपतियों को जागरूक करने हेतू सेमिनार आयोजित किए जाएं। इन सेमिनारों में उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली सबसिडी व अन्य लाभों बारे अवगत करवाया जाए। उन्होंने निर्माण कार्य व ध्वस्त करने वाली गतिविधियों से फेलने वाले प्रदूषण पर भी विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए। आगामी सीजन में क्षेत्र को हराभरा बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जाएगें।

Rajni Thakur

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