हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां बच्चों को प्राइवेट की जगह पसंद है सरकारी स्कूल, बोलते हैं फर्राटेदार अंग्रेजी

हरियाणा के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। स्कूलों में बेहतर शिक्षा और सुविधाएं न होने के कारण लोग अपने बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराते हैं। लेकिन हरियाणा के फतेहाबाद जिले का एक छोटा सा गांव, जहां के सरकारी स्कूल के शिक्षा स्तर और सुविधाओं को देखकर आप हैरान हो जाओगे। गांव के एक मध्यमवर्गीय परिवार का बेटा अगर अपनी बहन से कहे कि दी प्लीज़ हेल्प मी, आई एम ऑलरेडी फिफटिन मिनट्स लेट फॉर स्कूल…. (दीदी, मेरी मदद करो, मैं पहले ही स्कूल के लिए पंद्रह मिनट लेट हूं।) तो ये सुनकर शायद आपको हैरानी होगी।

फतेहाबाद का गांव ढाणी ढाका का यह स्कूल सही मायनो में सभी सरकारी यहां तक की प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है। स्कूल की बुनियादी सुविधाओं की बात करें या फिर शिक्षा स्तर की हर चीज में इस स्कूल ने सभी को पीछे छोड़ दिया है।

गांव के बच्चे हिंदी में नहीं बल्कि फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हैं और इसी से स्कूल के शिक्षा स्तर का पता चलता है। अपनी दूरगामी सोच के जरिए गांव के लोगों ने सुशिक्षित समाज का निर्माण करने और स्कूल की दशा और दिशा बदलने का काम किया है। ग्रामीणों के विचार हैं कि अपनी तकदीर के वे खुद भाग्यविधाता हैं। उनकी तकदीर उनके कर्म है हाथों की लकीर नहीं। 

अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए ग्रामीणों ने शिक्षा को जुनून के तौर पर लिया। तीन साल पहले ग्रामीणों ने शैक्षिक सुधार के लिए शिक्षा सुधार एंड वेल्फेयर सोसायटी का गठन किया। सोसायटी के प्रधान विनोद कुमार का कहना है कि बैठक में सर्वसम्मति की से यह फैसला लिया गया है। गांव का कोई भी बच्चा प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने नहीं जायेगा।

लेकिन इसके बाद ग्रामीणों के सामने चुनौती थी कि आठवीं तक के इस स्कूल को केवल तीन शिक्षकों के सहारे कैसे शिक्षा स्तर को सुधारा जाए। ऐसे में ग्रामीणों ने अपने बलबूते प्राइवेट शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाई में सहयोग के लिए रखा। थोड़ा सरकारी सहयोग और बाकी दान की राशि से शिक्षकों को हर महीने एक लाख रुपए सैलरी देने लगे।

ग्रामीणों का कहना है कि सामूहिक प्रयासों से स्कूल में शिक्षा पटरी पर दौड़ने लगी। अब गांव के सभी बच्चे इसी सरकारी स्कूल में पढ़ने लगे क्योंकि शहर के प्राइवेट स्कूल से बेहतर शिक्षा व संस्कार यहां मिल रहें हैं। इस शैक्षणिक सत्र में अब तक 310 बच्चे दाखिला ले चुके हैं।

मिल रहीं यह सुविधाएं

  • बच्चों व अध्यापकों के लिए ड्रेस कोड
  • खेल मैदान की सुविधा
  • स्कूल समय में किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं
  • स्कूल में लगे हुए सीसीटीवी कैमरे
  • ढाणियों से बच्चों को लाने के लिए वैन की सुविधा.
  • अभिभावकों को भी एंट्री करने के बाद मिलती अनुमति

अन्य गांव भी लें प्रेरणा

फतेहाबाद के जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद सिहाग ने कहा कि ढाणी ढाका गांव के ग्रामीणों की शानदार पहल का नतीजा है कि गांव से पिछले शैक्षणिक सत्र में एक भी बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं गया और इस बार भी दाखिले बढ़े हैं। ग्रामीणों के प्रयास सराहनीय है और दूसरे गांव की पंचायतों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

Rajni Thakur

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