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यहाँ पति के जिंदा होने के बावजूद भी विधवा की ज़िंदगी जीती है महिलायें, जानिए किस देश की है ये अजीबो गरीब परंपरा

हर सुहागन महिला चाहती हैं कि वह जीते जी सुहागन रहे। किसी भी महिला के लिए विधवा की जिंदगी जीना बहुत मुश्किल होता हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पति के जिंदा होने के बाद भी सुहागन महिलाएं विधवा की जिंदगी जीती हैं। देश में कुछ अजीबो-गरीब परंपराएं सदियों से चली आ रही है। इन्हीं में से एक है गछवाहा समुदाय की परंपरा। आपको बता दे कि इस परंपरा के अनुसार महिलाएं कई महीनों तक विधवा बनकर अपना जीवन बिताती है।

ये अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह सब होता है यूपी के देवरिया का बेलवाड़ा जिले में । यहां हर साल तीन महीने का मातम मनाया जाता है। यहां की सुहागनें तीन महीनों तक कोई श्रृंगार नहीं करतीं और विधवाओं जैसा कष्टभरा जीवन जीतीं हैं।

गांव में इन महीनों में मातम का माहौल छाया रहता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि इस गांव के सभ मर्द ताड़ी निकालने का काम करते है वो इसके लिए 50 फीट से ऊंचे ऊंचे पेडो पर चढ़ते है।

बता दे कि ताड़ी उतारने क़ा काम पांच से 6 महीने तक चलता है। इस दौरान महिलाएं न कोई सिंदूर लगाती है और न हो कोई श्रृंगार करती है। इसी के साथ महिलाएं अपनी सारी श्रृंगार कर समान को देवरिया से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तरकुलहा देवी के मंदिर में रखती हैं।

गछवाहा समुदाय राज्य के देवरिया, गोरखपुर और कुशीनगर जिलों में पाया जाता है। ताड़ी का काम इतना कठिन होता है कि उसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है।

क्योंकि इन पेड़ों की ऊंचाई 50 फिट से ज्यादा होती है। वैसे इन जिलों में ताड़ी का खूब प्रचलन है। जब भी पति ताड़ी तोड़ने के लिए जाता है तो पत्नी तीन महीने के लिए विधवा बन जाती है।

लेकिन अपने पतियों के वापिस आने पर उनका जोरदार स्वागत करती हैं। हालांकि ये प्रचलन कब से और किसने शुरू की ये बात किसी को नहीं पता।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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