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सिविल इंजीनयर की नौकरी छोड़ शुरू किया ऑनलाइन कबाड़ खरीदने का व्यापार, आज काम रहे है इतना मुनाफा

जैसा कि आप सब जानते है कि महामारी के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है। इसकी वजह से पूरी दुनिया के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने आपदा में भी अवसर की तलाश की है और अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का जोखिम उठाया है। लखनऊ के 29 वर्षीय ओम प्रकाश प्रजापति इन्हीं लोगों में से एक हैं।

ओम प्रकाश शुरू से ही अपना खुदका कोई काम बिज़नस करना चाहते थे और एक आईडिया पर वह काफी समय से लगे हुए थे। हालांकि उनमे उस समय इतनी हिम्मत नहीं जुट पाई थी कि वह अपनी नौकरी छोड़कर सोचा हुआ खुदका काम शुरू कर सके।

ओम प्रकाश ने बताया कि मैंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। डिप्लोमा पूरा करने के बाद, कुछ समय के लिए लखनऊ की एक कंपनी में काम किया और फिर बनारस की एक कंपनी में शामिल हो गए।

अपना स्टार्टअप शुरू करने से पहले, मैं बनारस में ही काम कर रहा था। जहां मुझे हर महीने 30 हजार रुपये मिलते थे। उसके बाद देश में लॉकडाउन लगा और मैं घर वापस आ गया, वहीं मैंने सोचा कि बिज़नेस को स्टार्ट किया जाए फिर मैंने इसके बारे में परिवार से बात की और 2020 जून में अपना स्टार्टअप ‘लखनऊ कबड्डीवाला’ शुरू किया। तब मेरे साथ दो लोग काम करते थे।

बाद में जब काम आगे बढ़ा तो मैंने इनकी संख्या बढ़ाई। आज मेरे साथ पांच लोगों की टीम काम करती है। ओमप्रकाश ने कबाड़ के हर सामान की प्राइस लिस्ट अपनी वेबसाइट पर डाल दी है।

अगर किसी को अपना कोई पुराना या खराब सामान कबाड़ वाले को देना है तो उसके लिए ओमप्रकाश की वेबसाइट बेहतर विकल्प है। शुरुआत में थोड़ी दिक्कत आयी लेकिन काफी रिसर्च के बाद उनका काम आगे बढ़ा।

फंडिंग के लिए उन्होंने अपनी बचत राशि का इस्तेमाल किया और उनके परिवार के सदस्यों ने भी उनकी बहुत मदद की। आपको बता दे कि वर्तमान में, ओम प्रकाश की कमाई लगभग 70 हजार रुपये प्रति माह है। वह संतुष्ट है कि वह अब अपना काम कर रहा है, जो वह हमेशा से करना चाहता था। यहां तक कि उनका सफर कई चुनौतियों से भरा था।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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