पहले लोग बेटियों को बोझ समझते थे। उनकी जिंदगी सिर्फ चूल्हा-चौका तक ही सीमित थी। लेकिन जैसे जैसे आधुनिक युग आया बेटियों को लेकर लोगों की सोच बदलने लगी। आज बेटियों को बेटों से कम नहीं समझा जाता। आज बेटियां हर वो काम कर रही हैं जो बेटे करते हैं। हर क्षेत्र में बेटियों ने बेटों से बेहतर करके दिखाया है। बदलते समय ने बेटी की काबिलियत और ताकत को पहचान लिया है और बेटियों ने भी समय-समय पर हर क्षेत्र में इसे साबित भी किया है। आजकल के समय में बेटियां बेटों से बिल्कुल भी कम नहीं हैं। विभिन्न क्षेत्रों में बेटियां अपने माता-पिता और देश का नाम रोशन कर रहीं हैं।
आए दिन बेटियां कामयाबी के नए आयाम छू रही हैं। हर क्षेत्र में अपना दम दिखा रही हैं। मौजूदा समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अपने लिए नए मौके की तलाश में लगी रहती हैं और जब उन्हें मौका मिलता है तो वह इतिहास रच रही हैं।
इसी बीच कैप्टन अभिलाषा बराक ने बुधवार को कॉम्बैट एविएटर (लड़ाकू विमान चालक) के रूप में आर्मी एविएशन कॉर्प्स में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया। भारतीय सेना की तरफ से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है।
थलसेना के अनुसार, एविएशन कोर के इतिहास में यह स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाने वाला दिन है क्योंकि पहली बार कोई महिला ऑफिसर कॉम्बेट-एविएटर के रूप पर चुनी गई है। बुधवार को नासिक (महाराष्ट्र) स्थित कॉम्बेट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल में आयोजित समारोह में कैप्टन अभिलाषा बराक सहित कुल 36 आर्मी पायलट्स को ‘प्रतिष्ठित विंग्स” प्रदान किए गए।
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सूरी में कैप्टन अभिलाषा सहित सभी पायलट्स को विंग्स प्रदान किए। इन विंग्स के प्रदान करने के बाद से यह सभी पायलट्स सेना के रुद्र और लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर यानि एलसीएच उड़ाने के लिए तैयार हो गए हैं। भारतीय सेना के एडीजीपीआई ने समारोह में ली गई तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा “यह युवा एविएटर अब कॉम्बैट एविएशन स्क्वाड्रन में अपने पंख फैलाने के लिए तैयार हैं।”
आपको बता दें कि सेना की एविएशन कोर को वर्ष 1986 में स्थापित किया गया था। हाल के सालों में चीता, ध्रुव, रुद्र, एलसीएच और रिमोटली पायलट एयरक्राफ़्ट जैसे उन्नत उपकरणों के साथ कोर ने अपनी स्थिति सुदृढ़ की है। एविएशन कोर के हेलीकॉप्टरर्स की जिम्मेदारी सेना की आखिरी चौकी पर तैनात सैनिकों को खाना-राशन, हथियार और दूसरा जरूरी सामान पहुंचाना।
यह ऐसी चौकियां हैं, जहां सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता। खासतौर से सियाचिन ग्लेशियर, एलओसी, पूर्वी लद्दाख, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम में सेना की कई ऐसी पोस्ट है जहां सड़क के रास्ते नहीं पहुंचा जा सकता, यहां पर एविएशन कोर के हेलीकॉप्टर ही ऑपरेट करते हैं।
बता दें कि कैप्टन अभिलाषा बराक हरियाणा के पंचकूला जिले की रहने वाली हैं। कैप्टन अभिलाषा प्रतिष्ठित द लॉरेंस स्कूल, सनावर के पूर्व छात्रा हैं। उन्होंने साल 2016 में दिल्ली टेक्नोलॉज़िकल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी टेक के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होनें डेलॉइट, यूएसए कंपनी में भी काम किया है।
सितंबर 2018 में कैप्टन अभिलाषा को सेना के एविएशन कोर में कमीशन मिला। अब तक वह कई प्रोफेशनल मिलिट्री कोर्स कर चुकी हैं। कॉम्बैट एविएटर बनने के लिए उन्होंने अपनी बाकी पायलट साथियों की तरह ही 6 महीने का कोर्स पूरा किया है। आने वाले दिनों में एविएशन कोर के टेक्टिकल इम्पॉर्टेंस में फ़ोर्स-मल्टीप्लायर के तौर पर आर्मी की मदद करेंगी।
भारतीय सेना द्वारा शेयर किए गए एक इंटरव्यू में कैप्टन अभिलाषा ने कहा कि “आर्मी कॉन्टॉनमेंट में पले-बढ़े और हमेशा वर्दी के क़रीब रहने के कारण मुझे यह बहुत ही सामान्य बात लगती थी। लेकिन साल 2011 में जब मेरे पिता सेवानिवृत हुए और हमारा परिवार आर्मी लाइफ़स्टाइल से बाहर चला गया।
तब मुझे इसके ख़ास होने का एहसास हुआ। इसके बाद साल 2013 में भारतीय सैन्य अकादमी में मेरे बड़े भाई की पासिंग आउट परेड देखने के दौरान मेरी फ़ीलिग और स्ट्रॉंग हुई। इसके साथ ही मुझे इसका भी एहसास हुआ कि, मैं ज़िंदगी में करना क्या चाहती हूं।”
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