शादी में क्या होता है, दूल्हा बारात लेकर आता है, फेरे होते हैं फिर विदाई होती है, जिसमें दुल्हन नम आंखों से अपने माता-पिता का घर छोड़ पति के घर रहने आ जाती है लेकिन कुछ देश ऐसा है जहां की परंपरा बिल्कुल उलट है। जी हां यहां पर दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है। अबूझमाड़ में निवासरत माड़िया जनजाति की आदिम संस्कृति आज भी जीवंत है। इस संस्कृति की कई विशिष्टताएं हैं।
इन्हीं में से एक है विवाह की परंपरा। इस जनजाति में दुल्हन अपनी बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में 44 सौ वर्ग किमी मेें विस्तृत अबूझमाड़ के जंगल आज भी अबूझ ही बने हुए हैं।
आपको बता दे कि गोड़ जनजाति में भगेली-विवाह प्रथा में विवाह लड़के और लड़की रजामंदी से होता है। इस प्रथा में कन्या अपने प्रेमी के घर भाग कर आ जाती हैं और एक निश्चित सामाजिक रूझान के तहत यह विवाह संपन्न होता है।
गोंड़ जनजाति में विवाह के अवसर पर अब लड़की वाले बारात लेकर लड़के वाले के घर आते है तब ऐसे विवाह को पठौनी-विवाह कहते है। चड़ विवाह- चड़ विवाह प्रथा में दुलहा बारात लेकर दुल्हन के घर जाता है।
इस विवाह प्रथा में लड़के अपने ससुराल में आ कर रहने लगता है। यह जनजातियों में पाए जाने वाले सेवा विवाह का गोंड़ी रूप है। जनजातियों में प्रचलित अधिमान्य विवाह के अंतर्गत गोंड़ जनजाति में ममेरे, फुफेरे लड़के, लड़कियों के विवाह को दुध लौटावा कहते है। इस जनजाति के लोग परंपरागत नृत्य के दौरान बायसन की सींग लगाकर नाचते है।
हमेशा से ही ये जनजाति अनोखी परंपराओं के लिए लोगों के बीच चर्चा का कारण बनी है। हालांकि ये जनजाति छत्तीसगढ़ के ऊंचे पहाड़ों में ही निवास करती है। इस जनजाति में लड़कों का विवाह प्रायः 18-19 वर्ष की उम्र में तथा लड़कियों का विवाह 16-17 वर्ष की उम्र में करा दिया जाता है।
हरियाणा को खिलाड़ियों की भूमि कहा जाता है। देश में सबसे ज्यादा पदक हरियाणा के…
आप सभी जानते ही हैं अब चुनाव का विगुल बज चुका है। सभी पार्टियों ने…
जब भी जनहित की बात आती है, तो हरियाणा सरकार कई बदलाव करते हुए नजर…
UPSC Results: ब्राजील से अपने माता-पिता को छोड़ एक लड़की UPSC की परीक्षा में सफलता…
हरियाणा सरकार जनता के लिए हमेशा कुछ ना कुछ अच्छा करती रहती है। जिससे कि…