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हरियाणा: रेहड़ी पर कुल्फी-मिठाई बेच चलता था घर का गुज़ारा, पहले ही प्रयास में बेटा बना IAS

हरियाणा के छोरे-छोरियां हर जगह अपनी सफलता के झंडा गाड़ रहे हैं, चाहे वह खेल हो, पढ़ाई हो या कोई और क्षेत्र, हर जगह अपना और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। बात करें सिविल सर्विसेज की तो इनमें बहुत से किसान के बेटे मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाने वाले इस बात को साबित करते हैं कि पैसे ना हो तब भी गरीब अपने सपने पूरे कर सकता है। ऐसी एक कहानी है राजस्थान के निदेशक सौरभ स्वामी की, जिन्होंने गरीबी को अपने और परिवार के सपने के बीच की दीवार नहीं बनने दिया। अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने IAS बन परिवार का नाम रोशन किया। उनके पिता चरखी दादरी के रोहतक चौक पर कुल्फी और मिठाई की रेहड़ी लगाकर परिवार का पेट पालते थे।

बता दें कि चरखी दादरी से ही उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और उसके बाद नई दिल्ली में भारतीय विद्यापीठ से बी.टेक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने बैंगलोर में इंजीनियर की नौकरी की और यहां नौकरी करते हुए सिविल सर्विस की प्राथमिक परीक्षा दी।

नौकरी करने के दौरान सौरभ फिसलकर गिर गए जिसकी वजह से उनके हाथ में चोट लग गई और डॉक्टर ने तीन महीने का रेस्ट बताया और इसी कारण उनको छुट्टी लेनी पड़ी। लेकिन इन 3 महीनों में का सौरभ ने सही इस्तेमाल किया और सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए।

अलग-अलग इंस्टिट्यूट से उन्होंने 3 महीने तक तैयारी की और साल 2014 में अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। 149वी रैंक पाकर 2015 के बैच में वह आईएएस बने। सौरभ ने बताया कि मुख्य परीक्षा में उन्होंने भूगोल विषय को चुना था क्योंकि पहले से ही उन्हें जो ग्राफी की काफी नॉलेज थी।

बता दें कि वह लगातार 17 से 18 घंटे तक पढ़ाई करते थे। सिविल सेवा की परीक्षा का उनको पहले इतना आईडिया नहीं था लेकिन वह भेल, सेल, इसरो परीक्षाएं पास कर चुके थे और इनका अनुभव इस परीक्षा में काम आया। इससे उनको बेसिक पता चल गए थे।

बता दें कि सौरभ की मां पुष्पा स्वामी ने बीएड कर रखी है और वह एक ग्रहणी हैं। वहीं उनके पिता केवल आठवीं तक पढ़े हैं, उनकी दो बहने भी हैं। वह अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देते हैं। उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य को पाया है। वह पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता के काम में भी हाथ बटाते थे। वह आईआईटी करना चाहते थे लेकिन पिता को लगता था कि वह कुछ बड़ा करने के लिए बने हैं।

आईएएस के लिए चयन होने के बाद सौरभ ने पाली जिले में ट्रेनिंग ली और उनकी पोस्टिंग प्रतापगढ़, गंगानगर में हुई। फरवरी 2020 से वह राजस्थान के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय और सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों से सौरभ स्वामी केवल यही कहते हैं कि अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो खुद पर यकीन होना सबसे जरूरी है। लक्ष्य निर्धारित करें और प्लान ए के साथ प्लान बी भी साथ रखें। यदि प्लान ए कामयाब नहीं होता है तो उसी पर दौड़ने के बजाय प्लान बी पर काम करें।

Rajni Thakur

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