यह बात तो आप सभी जानते ही होंगे की कागज को बनाने के लिए लाखों पेड़ों को काटा जाता है। अब इन पेड़ों को इतनी ज्यादा मात्रा में काटा जा रहा है इससे पर्यावरण असंतुलित हो चुका है। लगातार प्रदूषण फैलता जा रहा है जिसे नियंत्रित करने के लिए हमारे आसपास पेड़ों की संख्या कम हो गई है।
यह तो सभी जानते हैं कि कागज विद्यार्थियों के लिए और कार्यालयों में कितना महत्वपूर्ण है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस कागज को बनाने के लिए जो लाखों पेड़ों की कटाई की जा रही है उससे पूरा पर्यावरण भी असंतुलित होता जा रहा है।
लोगों को काफी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है यदि लोग जीवित ही नहीं रहेंगे तो देश कैसे चलेगा देश को चलाने वाला कौन होगा। इसी पर्यावरण को संतुलित करने के लिए अजमेर के राम सिंह शेखावत ने हाथी के गोबर से कागज बनाने की शुरुआत की।
राम सिंह शेखावत ने बताया कि लोगों में कागज को लेकर जागरूकता बहुत कम है। इस जागरूकता को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि कागज को बर्बाद ना किया जाए और कागज का निर्माण भी तरीके से पेड़ों को काटकर किया जाये यह संदेश देश के सभी देशवासी तक पहुंचे।
राम सिंह शेखावत ने बताया कि उनको यह आइडिया कहां से आया कि कागज को पेड़ों के अलावा अन्य चीजों भी बनाया जा सकता है। राम सिंह शेखावत ने बताया कि उनके भाई विजेंद्र सिंह शेखावत कई सालों से पेपर इंडस्ट्री में कार्यरत हैं उनके भाई ने एक बार जब अजमेर के किले में गए तो वहां पर करीब 100 से ज्यादा हाथियों से लोगों को शहर में घुमाने के लिए ले जाया जाता है ।
जब वह हाथी की सैर कर रहे थे तब उन्होंने देखा की हाथी गोबर कर रहा है और जब वह गोबर नीचे गिरा तो वह जमीन पर फैल गया इसे देख वह प्रोत्साहित हुए और उन्होंने इस पर कार्य शुरू किया और अंत में परिणाम स्वरूप कागज का उन्होंने निर्माण किया।
राम सिंह शेखावत ने बताया कि उनका ध्यान जब गोबर की ओर गया तो उन्होंने देखा कि गोबर का जो रंग है ठीक उसी की तरह है और उसमें सभी पदार्थ मिले हुए हैं।
कई असफलताओं के बाद कागज बनाने में भी सफल रहे और धीरे-धीरे उनका काम आगे बढ़ता गया हाथी के गोबर से कागज बनाने की प्रेरणा लेकर उन्होंने असम में गेंडा के गोबर से भी कागज बनाया और यह काम गांव वालों के सहयोग के बिना किसी कारखाने में रहकर सीधे घर से चलाया गया।
आपको बता दें कि एक हाथी लगभग 50 किलोग्राम गोबर देता है ऐसे में ज्यादा मात्रा में गोबर इकट्ठा हो जाता है जो कि कागज बनाने के लिए पर्याप्त है। आपको बता दें की कागज बनाने के लिए भी इसकी प्रक्रिया काफी लंबी है लेकिन इस प्रक्रिया को बनाने के लिए कोई भी बाहरी वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
आपको बता दें कि इस प्रक्रिया में जब गोबर को इकट्ठा कर लिया जाता है उसके बाद ऐसे नाले के पानी से धोया जाता है जिससे इसमें जो अनावश्यक रसायनिक चीजें हैं वह भूल जाएं और जो जरूरत की चीजें हैं वह इकट्ठी हो सके इस प्रक्रिया के बाद गोबर से लगभग 25% कपास प्राप्त हो जाता है।
इन सभी प्रक्रियाओं के बाद इस सामग्री को अपने हाथों के विमान से कागज का रूप दिया जाता है। राम सिंह शेखावत ने जिस तरीके से पर्यावरण को बचाते हुए एक कागज का निर्माण कर दिया यह निर्माण न केवल पर्यावरण को बचाएगा अपितु आगे आने वाली पीढ़ियों को भी शिक्षित करने में मदद करेगा।
हरियाणा को खिलाड़ियों की भूमि कहा जाता है। देश में सबसे ज्यादा पदक हरियाणा के…
आप सभी जानते ही हैं अब चुनाव का विगुल बज चुका है। सभी पार्टियों ने…
जब भी जनहित की बात आती है, तो हरियाणा सरकार कई बदलाव करते हुए नजर…
UPSC Results: ब्राजील से अपने माता-पिता को छोड़ एक लड़की UPSC की परीक्षा में सफलता…
हरियाणा सरकार जनता के लिए हमेशा कुछ ना कुछ अच्छा करती रहती है। जिससे कि…