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नौकरी गई तो माँ के साथ शुरू किया बंगाली कैफ़े, अब कमाती है 2 लाख रुपये हर महीने

मां बेटी का एक ऐसा रिश्ता जो सब रिश्तों से ऊपर होता है। मां बेटी का ऐसा प्यार होता है जो एक दूसरे की हमेशा रक्षा करते है। आज हम आपको एक ऐसे मां बेटी के रिश्ते के बारे में बताने जा रहे है जिसने एक मिसाल कायम किया है। साक्षी गुरुग्राम में रहती है उनकी उम्र 33 वर्ष की है, साक्षी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत थी, परन्तु मार्च 2019 में किसी कारणवश उनकी नौकरी चली गयी, साक्षी के माँ का नाम दीपा गुहा है।

उनकी आयु 67 वर्ष है, जब साक्षी की नौकरी चली गयी तब उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि साक्षी पे उनके घर के साथ साथ माँ- पापा और तीन बहनों की जिमेदारी थी।

तब साक्षी ने अपनी माँ के साथ मिल के परेशानियों को कम करने के लिए टिफिन सर्विस खोलने के बारे में सोचा। उसके बाद साक्षी इसे बड़ा करने का सोचा और उसने अपनी मां के साथ मिलकर गुरुग्राम में एक घर के बने खाने का बिजनेस शुरू किया है। जिसका नाम उन्होंने ‘बंगाली लव कैफ़े’ रखा है।

जहाँ वह बंगाली व्यंजन बनाती और बेचती हैं। हालांकि, वह कई सालों से छोटे-मोटे कार्यक्रम या पार्टी के लिए खाने का ऑर्डर लेती आ रही थी। लेकिन, अब उन्होंने इसे फुल टाइम बिजनेस का रूप दे दिया है।

साक्षी की मां दीपा ने बताया कि ये कैफ़े उनकी बेटी साक्षी के प्रोत्साहन का नतीजा है इसलिए इस कैफ़े के खुलने और सफल होने का श्रेय साक्षी को जाता है, साक्षी के प्रोत्साहन के बाद ही दीपा जी ने जनवरी 2020 में इस कैफ़े की शुरुआत की थी।

इस कैफ़े की शुरुआत बहुत छोटे स्तर पर हुई थी, परन्तु आज इस कैफ़े की एक महीने की कमाई दो लाख रुपये से अधिक है।वहीं साक्षी कहती हैं, “अक्टूबर 2019 के आसपास, मैंने कुछ लीफलेट तैयार किए और अपनी मां को खाने के ऑर्डर तैयार करने के लिए राजी किया।”

साक्षी कहती हैं कि उन्हें अपनी मां के पाक कौशल पर पूरा यकीन था और वह जानती थीं कि यह व्यवसाय चल पड़ेगा। उन्होंने अपने मुहल्ले में ये लीफलेट बांटे, जिसमें घर के बने बंगाली खाने की पेशकश की गई थी।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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