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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा पहले वैक्सीन बाहर भेजदी अब राज्यो के पास वैक्सीन की कमी

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले 6.50 करोड़ वैक्सीन विदेशों में भेजी दी और अब राज्यों को ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन खरीदने के लिए कह रही है, जबकि केंद्र सरकार को सभी राज्यों की तरफ से एक टेंडर कर के वैक्सीन खरीदनी चाहिए। अगर राज्य ग्लोबल टेंडर करेंगे, तो सभी को अलग-अलग कीमत पर वैक्सीन मिलेगी। हिंदुस्तान में दो ही कंपनियां वैक्सीन बना रही हैं और उन्हें अनुचित तरीके से लाभ कमाने का मौका दिया जा रहा है।

वैक्सीन का फार्मूला गुप्त रखने की बजाय सक्षम कंपनियों से साझा किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार कोवैक्सीन के उत्पादन में सरकारी पार्टनर भी है। वह अन्य कंपनियों से इसका फार्मूला साझा कर सकती है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस तरह 45 साल के उम्र तक और फिर 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन करने की हमारी मांगों को मान ली थी, उसी तरह वैक्सीन का फार्मूला भी साझा करने की हमारी मांग को मान लेगी। दिल्ली में 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोवीशील्ड की वैक्सीन अब सिर्फ दो-तीन दिन की ही बची है।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि दिल्ली में कल कोरोना के 10,489 पॉजिटिव मामले आए थे, जबकि संक्रमण दर 14.24 फीसदी थी। कुछ दिन पहले दिल्ली में संक्रमण की दर अधिकतम 36 फीसदी तक पहुंच चुकी थी, जबकि अब संक्रमण दर आधे से भी कम है।

तब कोरोना के अधिकतम मामले 28 हजार तक आए थे, जो अब कम होकर 10 हजार से नीचे आ गए हैं। दिल्ली में 24 अप्रैल से धीरे-धीरे कोरोना के मामले कम होते जा रहे हैं, लेकिन अभी भी पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है। घर से बाहर निकलते समय सभी लोग मास्क अवश्य लगाएं और कोविड-19 संबंधी सभी नियमों का पालन करें।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली में वैक्सीन बहुत कम बची है। 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोवीशील्ड की वैक्सीन अब सिर्फ दो-तीन दिन की ही बची है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन केंद्रों को मिक्स नहीं किया जा सकता है। जिन केंद्रों पर कोवैक्सीन लगाई जाती है, वहां पर कोवैक्सीन ही लगेगी।

अन्यथा दूसरी डोज लगवाने के समय भ्रम पैदा हो जाएगा। यदि व्यक्ति ने किसी केंद्र पर कोवैक्सीन लगवाई है, लेकिन अगली बार वह कोवीशील्ड वैक्सीन का केंद्र बन गया, तो वह कोवीशील्ड लगवाने पहुंच जाएगा।

यदि किसी को गलत वैक्सीन लग गई, तो दिक्कत पैदा हो जाएगी। इसलिए केंद्र को अलग रखा जाता है। आप वैक्सीन कहीं पर भी लगवा सकते हैं। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि किस केंद्र पर कौन सी वैक्सीन लग रही है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कोवीशील्ड की दूसरी डोज का समय बढ़ाने के संबंध में कहा कि इसके बारे में कल शाम को ही पता चला है। कोवीशील्ड की दूसरी डोज लगवाने का पहले समय 4 हफ्ते का था।

इसके बाद 6 से 8 सप्ताह तक किया गया और अब 12 से 16 हफ्ते कहा गया है। केंद्र सरकार की तरफ से जो निर्देश दिया गया है, उसका पालन किया जाएगा।

ग्लोबल टेंडर के संबंध में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश के अंदर अभी सिर्फ तीन वैक्सीन कोवीशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक को अनुमति मिली है। जब तक दूसरी वैक्सीन को अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक ग्लोबल टेंडर के बाद भी यही तीन वैक्सीन ही भारत आ सकती हैं।

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश सहित देश के सभी राज्य अलग अलग ग्लोबल टेंडर करेंगे, जबकि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां वही हैं। ऐसे में एक राज्य को वैक्सीन किसी दर पर मिलेगी और दूसरे राज्य को किसी और दर पर मिलेगी।

इस दौरान जल्द वैक्सीन पाने के लिए राज्य आपस में लड़ेंगे कि पहले हमें वैक्सीन दे दो और उन्हें मत दो, भले थोड़ी सी कीमत अधिक ले लीजिए। उन्होंने कहा कि देश के लिए यह बेहद अजीब हालात हैं और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण भी है। किसी भी दूसरे देश में भारत सरकार की एक ही एंबेसी होती है। ऐसे में यदि ग्लोबल टेंडर करने की आवश्यकता भी है, तो केंद्र सरकार को ही सभी राज्यों की तरफ से करना चाहिए।

श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि सबसे ज्यादा वैक्सीन उत्पादन की क्षमता भारत के पास है। देश में 30 से अधिक कंपनियां हैं, जो वैक्सीन बनाती हैं। वैक्सीन बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, उसका फार्मूला। केंद्र सरकार तो कोवैक्सीन के निर्माण में सरकारी पार्टनर भी है। केंद्र सरकार का उसमें स्वामित्व है, तो वह फॉर्मूला को अन्य कंपनियों के साथ साझा कर सकती है।

देश के अंदर ही इतनी ज्यादा संख्या में वैक्सीन बनाई जा सकती है कि किसी को भी दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पहले देश से 6.50 करोड़ वैक्सीन विदेशों में भेजी गई। अब कहा जा रहा है कि विदेशों से वैक्सीन खरीदो। केंद्र सरकार कह रही है कि हमने तो अपनी वैक्सीन बाहर भेज दी, अब आप ग्लोबल टेंडर करिए और उसको वापस दूसरी कंपनियों से खरीद लीजिए।

श्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि केंद्र सरकार से पूर्व में हमने कहा था कि 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगनी चाहिए। तब दूसरी पार्टी के लोगों ने शोर मचाया और कहा कि इनको कुछ नहीं पता। लेकिन कुछ दिन बाद शुरू कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगनी चाहिए।

तब भी शोर मचाया कि इन्हें कुछ नहीं पता, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद इसे लागू कर दिया। अब हमने कहा है कि वैक्सीन बनाने की अनुमति सभी कंपनियों को मिलनी चाहिए, वैक्सीन के फॉर्मूला को गुप्त नहीं रखना चाहिए। मुझे लगता है कि केंद्र सरकार कुछ दिनों में इसकी भी अनुमति दे देगी।

श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि हिंदुस्तान के अंदर दो वैक्सीन कंपनियां हैं, उनको अनुचित तरीके से लाभ कमाने का मौका दिया जा रहा है। कोवीशील्ड वैक्सीन 150 रुपये में केंद्र सरकार को दी जाती है। कोवीशील्ड बनाने वाली कंपनी ने खुद कहा है कि इसमें भी उन्हें फायदा है। कंपनी की बैलेंस सीट पर 40 फीसदी फायदा नजर आता है। अगर 150 रुपये में 10 रुपये का फायदा भी है तो राज्य सरकार को 300 रुपये में वैक्सीन देने पर 160 रुपये का फायदा होगा। निजी लोगों को 400 रुपये में वैक्सीन देने पर 260 रुपये का फायदा होगा।

दिल्ली के स्वथ्य उन्होंने कहा कि यदि एक कंपनी से 100 करोड़ डोज ली जाती हैं तो उन्हें करीब 16 हजार करोड रुपए का नेट प्रॉफिट होगा। दुनिया के अंदर इतना बड़ा नेट प्रॉफिट कमाने वाली कंपनियां दुर्लभ होंगी। छोटी-छोटी कंपनियों को इतना लाभ दिया जा रहा है। केंद्र सरकार को सभी वैक्सीन की कीमत तय करनी चाहिएं। वैक्सीन की दरें 150 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिएं। यदि इससे कम हो सकती हैं तो कम करनी चाहिए।

45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को स्कूलों में वैक्सीन लगाने के संबंध में सत्येंद्र जैन ने कहा कि बहुत सारे लोग अस्पताल -डिस्पेंसरी में जाकर वैक्सीन लगवाना नहीं चाहते हैं। उनको डर लगता है कि उम्र ज्यादा है। यदि वह अस्पताल-डिस्पेंसरी जाएंगे तो किसी संक्रमित के संपर्क में आकर खुद भी महामारी की चपेट में आ जाएंगे।

हमने जब स्कूलों में 18 से 44 वर्ष के युवाओं का वैक्सीनेशन शुरू किया तो बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। स्कूलों में खुली जगह और वेटिंग एरिया होता है। इसके अलावा बहुत सारे कमरे होते हैं। सभी को अलग-अलग कमरों में बिठाया जा सकता है। सोशल डिस्टेंसिंग की कोई दिक्कत नहीं होती है। स्कूलों का प्रयोग हमारा बहुत अच्छा रहा है। सभी सेंटरों को जल्द स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा।

वही दिल्ली द्वारा अधिक ऑक्सीजन को वापस करने संबंधी सवाल के बारे में कहा कि ऑक्सीजन स्टोर करने के लिए नहीं खपत के लिए होती है। दिल्ली में एक समय था, जब 700 मीट्रिक टन प्रतिदिन की खपत थी। किसी भी अस्पताल जिसकी पहले 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन की खपत थी, वह अब 14-15 टन तक रह गई है। ऐसे में ऑक्सीजन को स्टोर करके जमाखोरी नहीं करनी है। जबकि वह कह रहे हैं कि जमाखोरी करने के लिए जगह नहीं है। ऑक्सीजन मिल रही है और साथ-साथ इस्तेमाल हो रही है। हमने कब कहा कि हमारे पास जमाखोरी के लिए जगह है। दिल्ली की 700 मीट्रिक प्रतिदिन ऑक्सीजन की जरूरत थी। दिल्ली के अंदर बहुत सारे बेड ऑक्सीजन की कमी के कारण शुरू नहीं हो पाए। ऐसे में ऑक्सीजन का भंडारण नहीं, उसकी खपत महत्वपूर्ण है।

दवाओं की खपत के संबंध में श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इसके लिए एक वेबसाइट बनाई गई है। उसके जरिए ही अस्पतालों को दवाई मिलती है और इसका पूरा नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है। किस राज्य को कितनी दवाई मिलेगी, यह नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है।

गांवों में संक्रमण के बढ़ते मामलों के संबंध में श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि अभी दिल्ली में चौथी लहर चल रही है। इससे पहले दिल्ली के बाहरी क्षेत्र के जो गांव थे, उनमें काफी कम कोरोना के मामले देखने को मिले थे।

इस बार मामले वहां पर ज्यादा हैं, तो मुझे लगता है कि पूरे देश में गांव-गांव के अंदर फैल गया है। लोग यह भी कह रहे हैं कि महामारी के गांव तक पहुंचने का कारण कुंभ है।

बहुत सारे लोग कुंभ से वापस गांव आए थे, इससे गांव तक कोरोना पहुंचा है। दक्षिण-पश्चिमी जिले के गांवों में रोजाना 10 हजार लोगों की जांच की जा रही है। गांवों में लोगों की बहुत ज्यादा कोविड-19 की जांच की जा रही है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से टोसिलिजुमैब इंजेक्शन काफी कम मिल रहे हैं। सरकार की तरफ से एक माह में एक हजार यानि रोजाना के लिए 30-35 दिए जा रहे हैं। जबकि मांग प्रतिदिन 500 की है। ऐसे में स्क्रूटनी करने के लिए कमेटी गठित की गई है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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