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महामारी काल मे पढ़ नही पाए 70% बच्चे, माँ बाप इस तरीके से कर सकते है मदद

लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों के चलते शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि इन कक्षाओं से करीब आधे छात्र ही जुड़ पाए हैं। इसके अलावा कहीं नेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही है। अभिभावक बच्चों के असाइनमेंट तैयार करने में जुटे हैं तो अधिकतर शिक्षक भी इसे कई कारणों से ज्यादा प्रभावी नहीं मान रहे।

महामारी से प्रभावित हुए तमाम क्षेत्रों में एक बेहद अहम क्षेत्र स्कूली शिक्षा का भी है। महामारी के दौरान बहुत से बच्चे अलग-अलग कारणों से पढ़ाई में पीछे छूट गए। दरअसल कोरोना के दौरान भी स्कूल ऑनलाइन ही सही, लेकिन चल रहे थे।

दुनियाभर में सरकारें कई प्लेटफॉर्म के माध्यम से बच्चों को क्लासेज उपलब्ध करा रही थीं। ऐसे में वे बच्चे जिनके पास संसाधनों की कमी थी, ऑनलाइन क्लासेज की सुविधा नहीं ले सके। इनमें ज्यादातर वे बच्चे हैं जो गरीब हैं और ग्रामीण इलाकों में रहते हैं।

गरीब और ग्रामीण बच्चे पाठ्यक्रम में काफी पीछे छूट गए हैं। इसके चलते पूरी दुनिया में स्कूल जाने वाले बच्चों में शैक्षणिक तौर पर काफी असंतुलन देखा जा सकता है। WEF के मुताबिक इस असंतुलन के चलते गरीब और ग्रामीण बच्चे, सक्षम और शहरी बच्चों की तुलना में काफी पीछे रह जाएंगे। इसलिए इससे निपटना बहुत जरूरी है।

ऑनलाइन कक्षाओं से कोई फायदा नहीं हो रहा है। केवल खानापूर्ति हो रही है। ना तो कंटेंट ढंग से दिया जाता है और ना ही बच्चों से सही ढंग से संवाद हो पाता है, जबकि शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक व विद्यार्थी के मध्य उचित संवाद होना आवश्यक है।

बच्चों को घर में ना तो स्कूल जैसा वातावरण मिल पाता है और ना ही बच्चे अनुशासन में रहते हैं। इससे बच्चों का बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो रहा है। इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास ऑनलाइन अध्ययन के संसाधनों का अभाव है तथा किसी तरह संसाधन जुटा भी लिए जाएं, तो भी बड़े पैमाने पर नेटवर्क की समस्या रहती है। अत: ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ निम्न आर्थिक व नेटवर्क समस्याग्रस्त क्षेत्रों के बच्चों को नहीं मिल रहा है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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