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900 से 1500 रुपये किलो बिकता है यह चिकन, जानिए कड़कनाथ मुर्गे की मार्किट में क्यों रहती है भारी डिमांड

नॉनवेज के शौकीनों के बीच पिछले कुछ सालों में कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड काफी बढ़ चुकी है। खास बात ये है कि इस किस्म का मुर्गा केवल भारत में ही पाया जाता है। देश के कई होटलों में भी अब कड़कनाथ मुर्गे की डिमाड़ बढ़ गई है। मध्य प्रदेश के झाबुआ सहित कुछ अन्य जिलों में मुर्गा की खास नस्ल पाई जाती है, जिसे कड़कनाथ के नाम से पहचाना जाता है। इस मुर्गा की खासियत है कि इसके मांस में बसा (फैट) कम होता है और प्रोटीन ज्यादा।

आपको बता दे कि कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा अन्य प्रजातियों के मुर्गो से बेहतर होता है। आमतौर पर अगर आप इसे बाजार में लेने जाते हैं, तो इसकी कीमत 900 से 1500 रुपये किलों तक होती है।

इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक और फैट की मात्रा न के बराबर पाई जाती है। यह विटामिन-बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी, ई, नियासिन, कैल्शियम, फास्फोरस और हीमोग्लोबिन से भरपूर होता है।

यह अन्य मुर्गो की तुलना में लाभकारी है। इसका रक्त, हड्डियां और सम्पूर्ण शरीर काला होता है। यह दुनिया में केवल मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर में पाया जाता है। काले रंग की वजह से इस मुर्गे को स्थानीय भाषा में कालीमासी भी कहा जाता है।

जानकार मानते हैं कि दूसरी प्रजातियों के मुकाबले यह मुर्गा अधिक स्वादिष्ट, पौष्टिक, सेहतमंद और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। वैसे कड़कनाथ मुर्गे के 3 प्रजाति मिलते हैं।

इनमें जेट ब्लैक गोल्डन ब्लैक और पेसिल्ड ब्लैक शामिल हैं। इनका वजन 1.8 किलों से 2.0 किलो तक होता है। गौरतलब है कि कुछ सालों पहले तक कड़कनाथ मुर्गे को मध्य प्रदेश के झाबुआ और छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाले आदिवासी ही पालते थे और इन्हें काफी पवित्र माना जाता था।

वहीं झाबुआ, अलीराजपुर, बडवानी और धार जिलों के पंजीकृत पोल्ट्री फार्मों में ऐसे कुल 300 सदस्य हैं, जो कड़कनाथ मुर्गा पालते हैं। महामारी काल में इनके पास भी चूजों की डिमांड पहुंच रही है। कहा जा रहा है कि कड़कनाथ मुर्गा का मांस प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और यह कोरोना के संक्रमण से बचाने में कारगर है। हालांकि, अब तक इस संबंध में कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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