जल जीवन मिशन ने हरियाणा के पेयजल को लेकर एक बहुत बड़ा खुलासा किया है। हरियाणा के 20 हजार 194 पानी के सैंपल में से 13,828 सैंपल जांच में फेल हो गए हैं। पानी के 5,126 नमूनों में आर्सेनिक (As), मरकरी (Hg) और यूरेनियम (U) की मात्रा जरूरत से अधिक पाई गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा पानी लंबी अवधि तक पीने से त्वचा, फेफड़े, गुर्दे और मूत्राशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। दिसंबर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी राज्य में दूषित पानी का मुद्दा उठा था। जिसके बाद सरकार ने इसकी रिपोर्ट सौंपी है। जल जीवन मिशन टीम ने पेयजल की जांच करने के लिए ग्रामीण जल आपूर्ति स्रोतों, जल आपूर्ति बिंदुओं के साथ-साथ हरियाणा में सार्वजनिक और निजी जल निकायों से नमूने एकत्र किए हैं। जल जीवन मिशन की टीम ने प्रदेश भर से करीब 77 हजार सैंपल लिए हैं। इनमें से 20,194 नमूनों की जांच की गई। फेल सैंपल का आंकड़ा 16 फीसदी के करीब है।
8702 सैंपल में बैक्टीरिया का संक्रमण पाया गया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुल 8702 सैंपल में बैक्टीरिया का संक्रमण पाया गया है। ऐसा पानी पीने से बैक्टीरियोलॉजिकल संदूषण हो सकता है। ऐसा पानी पीने से दस्त, उल्टी, ऐंठन, जी मिचलाना, सिरदर्द, बुखार और थकान जैसी समस्याएं होती हैं। जिलेवार सैंपलों की जांच में सबसे ज्यादा दिक्कत भिवानी जिले में सामने आई है। यहां 1921 सैंपल में यह समस्या पाई गई है। इसके अलावा सोनीपत, गुरुग्राम, जींद और महेंद्रगढ़ में भी यही समस्या पाई गई है।
विधानसभा में दूषित पानी का मुद्दा छाया रहा
गौरतलब है कि हरियाणा में दिसंबर में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में दूषित पानी का मुद्दा हावी रहा। इसे लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी तीखे सवाल खड़े किए। परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने सदन को बताया कि सरकार ने एक समिति का गठन किया है। जो जिलों के दूषित पानी की संयुक्त रिपोर्ट बनाकर सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
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