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पर्यावरण दिवस के मौके पर जेसी बोस में हुआ पर्यावरण संरक्षण पर मंथन

फरीदाबाद, 5 जून- प्रसिद्ध जल संरक्षणवादी डॉ. राजेंद्र सिंह, जिन्हें भारत के जलपुरुष के रूप में जाना जाता है, ने उच्च शिक्षा संस्थानों से प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम दोहन का समर्थन करने वाली शिक्षण प्रौद्योगिकी एवं तकनीकों के बजाय प्रकृति का पोषण करने वाले पर्यावरणीय विषयों पर आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया है।

डॉ. राजेंद्र सिंह विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जिसका आयोजन जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के एनएसएस प्रकोष्ठ तथा वसुंधरा इको-क्लब द्वारा किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार। साथ में डाॅ. राजेन्द्र सिंह।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र कुमार तथा कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग भी इस अवसर पर उपस्थित थे और कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन एनएसएस समन्वयक डॉ. प्रदीप डिमारी और पर्यावरण विज्ञान की चेयरपर्सन डॉ. रेणुका गुप्ता ने किया।
कोविड-19 महामारी को विश्व अर्थव्यवस्था का नेतृृत्व करने की चीन की महत्वाकांक्षा का परिणाम बताते हुए डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि प्रकृति ने ही कोरोना महामारी के रूप में हमें पर्यावरण सही करने का अवसर दिया है।

आज मनुष्य के लोभ ने अनेक प्रकार की वनस्पतियों और जीवों को नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर हमें लंबा जीना है तो हमें भारतीय संस्कृति में छिपे विज्ञान और पर्यावरण की रक्षा के सिद्धांत को खोजना और जानना होगा।

मैगसेसे पुरस्कार विजेता डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक भारतीय संस्कृति प्रकृति से जुड़ी रही, भारत के देवता मंदिरों में नहीं, बल्कि मनुष्यों में निवास करते रहे। हमने भूमि, वायु, आकाश, अग्नि और नीर (भूमि, आकाश, वायु, अग्नि और जल) के रूप में प्रकृति की पूजा की। हम अपने भगवान को जानते थे।

हमने नीर, नारी और नदी को सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय परंपरा ने हमें प्रकृति का दोहन करने से कभी नहीं रोका, बल्कि उसका शोषण करने से रोका।
अपने संबोधन में प्रो. दिनेश कुमार ने वर्तमान समय में दिन के विषय और प्रासंगिकता के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए हमें पेड़ लगाकर पर्यावरण की रक्षा करनी होगी और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करना होगा और पारिस्थितिकी तंत्र पर बढ़ते दबाव को कम करने की दिशा में विशेष ध्यान देना होगा. पर्यावरण हम सभी के जीवन से जुड़ा हुआ विषय है, इसलिए पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सभी को सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी।

इस अवसर पर विश्व पर्यावरण दिवस के विषय ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’ पर एक वीडियो डाक्यूमेंट्री प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी, जिसमें सेठ एनकेटीटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स, ठाणे, महाराष्ट्र के राहुल धरने ने प्रथम पुरस्कार जीता।

इग्नू विश्वविद्यालय की शिवानी और एसजीटीबी खालसा कॉलेज, नई दिल्ली की अनुश्री ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।कार्यक्रम के अंत में डॉ. रेणुका गुप्ता ने मुख्य वक्ता का धन्यवाद किया।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने छात्रों, कर्मचारियों और समाज को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करने के लिए पौधारोपण अभियान ‘एक पौध – एक संकल्प’ शुरू किया है। उन्होंने सभी से अभियान में हिस्सा लेने की अपील की।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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