जो हम आपको वाक्या बताने जा रहे हैं। जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं। वह खबर है तो बिल्कुल सच्ची, लेकिन उस खबर के पीछे की कहानी कुछ और ही है। एक पेड़ था, उस पेड़ के ऊपर से पैसों की बरसात हो रही थी। और लोग चिल्ला चिल्ला कर पैसों को बटोर रहे थे, लूट रहे थे। और बेहद खुश भी हो रहे थे।
कोई खुश क्यों ना हो, जब उसे अचानक से पैसों की बरसात नजर आए, और पैसे मिलने शुरू हो जाए, तो गरीब, फकीर हो या फिर मालदार आदमी यानी अमीर हर कोई पैसों की बरसात को देखकर कुछ होगा ही।
और ऐसा ही कुछ यहां के लोगों के साथ हुआ जो पेड़ से गिरते हुए पैसों को लगातार लूट रहे थे। चिल्ला चिल्ला कर उन पैसों को इकट्ठा कर रहे थे। कोरोना काल में आर्थिक मंदी इतनी है कि कई लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है। कोरोना काल में कई कारोबार, कई लोगों की नौकरियां छीन गई है, लोग भूखे मर रहे हैं।
कुछ वर्ग तो ऐसे हैं जो सड़कों के किनारे रह रहे हैं जिन्हें हम खानाबदोश कहते हैं। उन्हें खाने पीने की चीजें नहीं पहुंच पा रही है। कुछ लोग ऑक्सीजन की वजह से दम तोड़ रहे हैं लकुछ लोग दवाई ना होने की वजह से दम तोड़ रहे हैं।
कुछ लोग अस्पताल में एडमिट होने की वजह से दम तोड़ रहे हैं। तो कुछ लोगों को खाना मुहैया नहीं हो रहा, खाना मयस्सर नहीं हो रहा, इस वजह से दम तोड़ रहे हैं। और अगर ऐसे में किसी पेड़ से नोटों की बरसात हो जाए तो फिर क्या बात। अब इसकी पूरी की सच्चाई क्या है हम आपको तफ्सील से बताते हैं सुनिए।
यह मामला उत्तर प्रदेश के रामपुर के शाहाबाद कस्बे का है। यहां शनिवार को तब लोगों के होश उड़ गए जब उन्हें एक पेड़ पर से 100, 200 और 500 के करारे नोट गिरते हुए दिखाई दिए। दरअसल ये पैसे शाहाबाद कस्बे में तैनात एक पुलिसकर्मी के थे।
हुआ ये कि पुलिसवाला अपनी डॉयल 112 गाड़ी में पर्स रखकर खाना खाने चला गया था। वह अपनी गाड़ी का शिक्षा बंद करना भूल गया था। इतनी देर में वहां एक बंदर आ गया और उसका पर्स उठाकर पेड़ पर जा बैठा।
इस बंदर की वजह से ही पेड़ पर से पैसे बरस रहे थे। बंदर जब पेड़ पर चढ़ा तो उसने पुलिसवाले का नोटों से भरा पर्स खोल दिया। इसके बाद देखते ही देखते ये नोट पेड़ से गिरकर नीचे आने लगे।
इसे देख ऐसा प्रतीत हुआ मानों पेड़ पर से पैसों की बारिश हो रही है। इसी पैसों की बारिश को देख लोग पगला गए थे और गिरते पैसे बटरोने लगे थे। हालांकि जब उन्हें पता चला कि ये पुलिसवाले के पैसे हैं तो वे वहां से चुपचाप चलते बने। तो ऐसे-ऐसे भी मामले निकलकर सामने आते हैं।
बचपन में अपने नकलची बन्दर की कहानी सुनी होगी, जिसमें बन्दर टोपी वाले व्यापारी की टोपियां पहन लेते हैं और पेड़ पर चढ़ जाते हैं। फिर जैसे तैसे सोच-समझकर टोपी व्यापारी अपनी टोपी सिर से उतारता है तो बन्दर भी अपनी टोपी उतरते हैं, अब जैसे ही व्यापारी अपनी टोपी निचे फेंकता है, बन्दर भी ऐसा ही करते हैं। तो समझिए आप, बन्दर कैसे नकलची और ओवरस्मार्ट होते हैं। खैर ये बात ऐसे परिस्थिति वाले बंदरों के लिए है मात्र।
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