दिवाली का त्योहार आ गया है। इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। दिवाली पर हर घर दीपक से रोशन होता है। इस दिन भगवान की प्रतिमाओं पर फूल माला भी अर्पित की जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले दिवाली का बहुत सा सामान चीन से आता था लेकिन अब लोकल फॉर वोकल को प्रमोट किया जा रहा है। इसी कड़ी में अलीगढ़ में एक नई पहल की गई है।
अलीगढ़ के गुरू गौशाला में गाय के गोबर से दीपक और भगवान की मूर्तियां बनाई जा रही है। यहां के मैनेजर ने बताया कि इस काम से यहां के प्रवासी मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है। इसके साथ ही वे चाइना के सामान के विरोध में अपने इन देसी प्रोडक्टस को आगे बढ़ा रहे हैं।
गोबर से बने दीपक और देवी देवताओं की यह प्रतिमाएं दिखने में बेहद सुंदर हैं। गोबर आसानी से मिल जाने वाली चीज होती है। उसे इस तरह के सामान बनाने के लिए इस्तेमाल करना एक अच्छी पहल है। इससे लाभ भी अधिक होगा।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि ये वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ऐसे में आप इन्हें खरीद इकोफ्रेंडली दिवाली भी मना सकते हैं।
हम लोगों को भी अपनी तरफ से इस दिवाली कुछ इकोफ्रेंडली चीजें करनी चाहिए। बाजार से सिर्फ वही सामान खरीदे जो देसी हो। चाइना के प्रोडक्टस का बहिष्कार करें। साथ ही पटाखों का इस्तेमाल न करें। दुनिया को यह संदेश दें कि भारतवासी समझदार हैं और वातावरण का अच्छे से ख्याल रखते हैं। आप सभी को दिवाली की ढेर सारी शुभमनाएं।
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