पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बैठक में बीजेपी कार्यकर्ताओं से आंदोलनरत किसानों के खिलाफ लठ्ठ उठा लेने और ‘जैसे को तैसा’ की नीति अपनाने की बातें कहते नजर आए, उसे लेकर वह मुश्किल में फंस सकते हैं। इसके खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर कर उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि अदालत द्वारा संबंधित पुलिस अधिकारियों को मामले की जांच करने और खट्टर एवं अन्य आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 153, 153ए तथा 505 के तहत केस दर्ज करने के आदेश दिए जाएं। इस याचिका पर ACMM सचिन गुप्ता की अदालत कल सुनवाई करेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील अमित साहनी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर अपनी अर्जी में कहा कि 03 अक्टूबर 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री का चंडीगढ़ में अपने आवास पर भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक का एक विवादास्पद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
इसमें वह कहते नज़र आए कि कुछ नए किसानों के संगठन भी उभर रहे हैं, उनको भी प्रोत्साहन देना पड़ेगा, उनको आगे चलाना पड़ेगा और अगर हर जिले में खासकर उत्तर और पश्चिम हरियाणा के, दक्षिण हरियाणा में ये समस्या ज्यादा नहीं है, लेकिन उत्तर और पश्चिम हरियाणा के हर जिले में किसानों के 500, 700, 1000 लोग अपने खड़े करो, उनको वॉलंटियर बनाओ।
वह आगे कहते हैं कि और फिर जगह-जगह ‘सठे साठयम समाचरेत’ (पूछते हैं क्या अर्थ होता है इसका), अंग्रेजी में बता दिया न हिंदी में बताओ, यानि जैसे को तैसा। ठा लो डंडे, ठीक है।
उन्होंने अर्जी में आगे कहा कि वीडियो में मुख्यमंत्री खट्टर आगे कहते दिखे कि ‘नहीं वो देख लेंगे और दूसरी बात ये है कि जब ठा लोगे डंडे तो जमानत की परवाह मत करो। छः महीने, दो महीने जेल में रह आओगे न, तो इतनी पढाई इस मीटिंग में नहीं होगी, दो-चार महीने वहां रह आओगे तो अपने आप बड़े लीडर बन जाओगे। नहीं, नहीं दो चार महीने में अपने आप बड़े नेता बन जाओगे, चिंता मत करो। ये इतिहास में नाम लिखा जाता है। इसमें एक ही बात ध्यान रखनी है जोश के साथ अनुशासन को बनाकर रखना है। जो सूचना मिल गई, यहां तक करना है, इसके आगे नहीं करना, तो नहीं करना।
उन्होंने अर्जी में कहा कि उपरोक्त वीडियो से यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा राज्य के मुखिया अपनी पार्टी के सदस्यों को किसानों के खिलाफ खड़े होने के लिए उकसा रहे हैं और ऐसा बयान देकर उन्होंने आईपीसी की धारा 153/153A/505 के तहत अपराध किया है।
साथ ही यह कि मुख्यमंत्री खट्टर ने कार्यकर्ताओं को बताए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने पर जोर देते हुए, आपराधिक बल का इस्तेमाल करने के लिए उकसाया। इससे पहले ही हरियाणा के एक IAS अधिकारी आयुष सिन्हा ने किसानों के “सिर फोड़ने” का एक विवादित बयान दिया था।
एडवोकेट अमित साहनी ने याचिका में कहा कि सीएम खट्टर के बयान का लहजा और तरीका स्वतः स्पष्ट है और उन्हें संवैधानिक पद पर होने के कारण दुश्मनी, नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
इस वीडियो में इस तरह की अभद्र भाषा और मौजूदा मुख्यमंत्री जैसे सरकारी पदाधिकारी द्वारा अपनी पूरी क्षमता से उकसाने से आंदोलन तेज हो सकता था और जिसकी वजह से दिल्ली–एनसीआर में कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति पैदा हो सकती थी।
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो वीडियो में उनकी भाषा के बाद विभिन्न सामाजिक सर्कल में अशांति फैल गई थी।
याचिका में आगे बताया गया कि बीते 23 अक्टूबर को उनकी तरफ से डीसीपी, ज्वॉइंट कमिश्नर एवं स्पेशल कमिश्नर (क्राइम ब्रांच) को इस संदर्भ में शिकायत दी गई थी, लेकिन आरोपी व्यक्तियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
इसलिए किसी राजनेता द्वारा नफरत फैलाने की हालिया प्रवृत्ति हमारे लोकतांत्रिक देश में स्वीकार्य नहीं है और इस तरह की टिप्पणी करने वाले किसी भी व्यक्ति से सबसे सख्त तरीके से निपटा जाना चाहिए। इसलिए खट्टर एवं अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उचित जांच के निर्देश जारी किए जाएं।
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