हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, गुरुग्राम ने आज 26 एक जैसे मामलों का फैसला करते हुए प्रमोटरों/डेवलपर्स/बिल्डरों द्वारा रियल एस्टेट इकाई के लिए बिक्री समझौते के समय आवंटियों से किए गए वादे के अनुसार सुनिश्चित रिटर्न के भुगतान के संबंध में एक ऐतिहासिक निर्णय पारित किया।
हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, गुरुग्राम का यह निर्णय दोषी प्रमोटरों पर देय करोड़ों रुपये की वसूली करने में मदद करेगा, जो विभिन्न सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं को शुरू करने के बाद भोले-भाले आवंटियों को जमा राशि/एकत्र राशि पर सुनिश्चित रिटर्न का भुगतान करने से उदण्डतापूर्वक इनकार कर रहे हैं।
इनमें से अधिकतर मामले एक प्रमुख डेवलपर नामत: वाटिका लिमिटेड से संबंधित हैं। प्राधिकरण का यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं जैसी संदिग्ध जमा योजनाओं के माध्यम से धन जुटाने वाले प्रमोटरों द्वारा किए जा रहे कदाचार को रोकने/विनियमित करने में बहुत लाभकारी सिद्घ होगा।
प्राधिकरण के समक्ष बड़ी संख्या में ऐसे मामले दायर किए जा रहे हैं, जिनमें पीड़ित आवंटियों ने आरोप लगाया है कि प्रमोटर ने उन्हें अपनी रियल एस्टेट परियोजना में निवेश करने के लिए इकाई के मूल्य के रूप में जमा किए गए धन पर मासिक रिटर्न की एक निश्चित दर देने का लालच दिया था।
सुनिश्चित रिटर्न योजनाएं अक्सर खरीदार/खरीद के लिए बहुत ही आकर्षक लगती हैं क्योंकि उन्हें ब्याज की सुनिश्चित दर का वादा किया जाता है और पूरी होने की सहमत तिथि पर संपत्ति का कब्जा भी रहता है। सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं को चालू करके प्रमोटर/डेवलपर/बिल्डर आवंटियों से शुरुआत यानी पार्टियों के बीच बिल्डर खरीदार समझौते को निष्पादित करने के समय पर ही लगभग शत-प्रतिशत भुगतान एकत्र कर लेते हैं।
रियल एस्टेट संपत्ति के कई खुदरा खरीदार ऐसी योजनाओं के शिकार हुए हैं और संपत्ति प्राप्त करने में विफल रहे हैं। सुनिश्चित रिटर्न मिलने की बात तो छोड़ दें वे वित्तीय लेनदार बन गए हैं और प्रमोटर/ डेवलपर से अपने पैसे की वसूली के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इन मामलों का फैसला करते हुए हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. के.के. खंडेलवाल के नेतृत्व में प्राधिकरण के बैंच ने झूठे प्रमोटरों/डेवलपर्स पर बहुत सख्त होते हुए कहा कि प्रमोटर/डेवलपर्स/बिल्डर बिल्डर-खरीदार समझौते के अनुसार पार्टियों के बीच हुई सहमति के तहत सुनिश्चित रिटर्न का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।
निर्णय सुनाते समय, प्राधिकरण ने नीलकमल रियल्टर्स सबअर्बन्स मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लिए गए निर्णय को मद्देनजर रखते हुए कहा कि रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 में पार्टियों के बीच संविदात्मक दायित्वों को पुन: लिखने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए प्रमोटरों/डेवलपर्स/बिल्डरों को यह दलील देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि रेरा अधिनियम, 2016 के प्रभाव में आने के बाद आवंटियों को सुनिश्चित रिटर्न की राशि का भुगतान करने के लिए कोई संविदात्मक दायित्व नहीं था या इस संबंध में एक नया समझौता निष्पादित किया जा रहा है।
बैंच ने कहा कि जब किसी आवंटी के खिलाफ सुनिश्चित रिटर्न की राशि का भुगतान करने के लिए प्रमोटर का दायित्व होता है तो वह उस बात के लिए मात्र रेरा अधिनियम, 2016 या किसी अन्य कानून के प्रवर्तन की दलील लेकर उस स्थिति से बाहर नहीं निकल सकता है।
अपने फैसले में प्राधिकरण ने यह स्पष्ट किया कि सुनिश्चित रिर्टन योजनाओं से संबंधित विवादों में प्रमोटरों/डेवलपर्स/बिल्डरों द्वारा अचल संपत्ति के आवंटन के खिलाफ अग्रिम रूप से जमा राशि ली गई थी और एक निश्चित अवधि के भीतर आवंटी को कब्जा दिया जाना था।
प्रमोटरों/डेवलपर्स/बिल्डरों द्वारा अपने वादे को पूरा न करने पर आवंटी को शिकायत दर्ज करके अपनी शिकायत के निवारण के लिए प्राधिकरण से संपर्क करने का पूरा अधिकार है।
हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण का यह फैसला उन पीडि़त आवंटियों को न्याय दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, जिनकी मेहनत की करोड़ों रुपये की कमाई को प्रमोटरों/डेवलपर्स/बिल्डरों द्वारा लूट लिया गया है।
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