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हरियाणा के किसानों को केंद्र से मिली राहत, ₹3900 करोड़ का मिला बजट, बदल जाएगी खेती की तस्वीर

हरियाणा के किसानों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। इस बार हरियाणा को कृषि अवसंरचना कोष योजना के अंतर्गत 3900 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है। इसकी सहायता से किसानों के हित में कई योजनाएं अमल में लाई जा सकेंगी। इस योजना के तहत फसल उत्पादन लेने के बाद उत्पादन के उचित प्रबंधन, बुनियादी ढांचे, समुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के विकास एवं फार्म गेट पर अवसंरचना के निर्माण के लिए केंद्र द्वारा राज्यों के लिए बजट दिया जाता है। हरियाणा को 2020-2021 से 2032-33 की अवधि तक के लिए 3900 करोड़ रुपए की राशि दी गई है। खेती की पूरी तस्वीर को उज्ज्वल बनाने वाली इस महत्वपूर्ण योजना के अंतर्गत दो करोड़ रुपए तक के बैंक कर्ज पर ब्याज दर में तीन प्रतिशत तक की छूट दी जाती है।

कर्ज मंजूर होने के उपरांत अधिकतम सात वर्षों तक ब्याज में छूट दी जाती है तथा 2 करोड़ रुपए तक के बैंक कर्ज पर फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज की ओर से क्रैडिट गारंटी भी दी जाती है।

इसमें खास बात यह है कि यह गारंटी शुल्क उद्यमी नहीं बल्कि केंद्र सरकार की ओर से वहन किया जाएगा। कृषि के क्षेत्र में यह योजना निश्चित रूप से प्रभावी साबित होगी और इससे किसान अपने उत्पाद का उचित प्रबंधन करने के अलावा खेती के उन्नत तरीकों की ओर भी बढ़ेंगे। 

इस महत्वाकांक्षी योजना से किसानों को कम ब्याज दरों पर कर्ज मिलेगा, जिससे वे खेती में संसाधन और सुविधाओं के नजरिए से भी सशक्त होंगे। इस योजना के तहत किसान अन्य किसी स्कीम में भी सब्सिडी लेते इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। केंद्र सरकार की इस कृषि अवसंरचना कोष योजना की अवधि 2020-21 से 2032-33 तक  है, जबकि ऋण वितरण अवधि 2020-21 से 2025-26 तक होगी।

खेती में किए अभूतपूर्व सुधार

इसके साथ ही हरियाणा में पिछले सात वर्षों में खेती के क्षेत्र में भाजपा सरकार की ओर से अभूतपूर्व सुधार किए गए हैं। हरियाणा में आज खेती की तस्वीर लगातार उज्जवल हो रही है। हरियाणा धान, गेहूं, कॉटन, बागवानी और सरसों में आज नए आयाम स्थापित कर रहा है। राज्य में करीब 37 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है और करीब 17 लाख 64 हजार किसान परिवार हैं।

राज्य में किसानों की लगभग एक दर्जन फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक रही हैं। किसानों की फसलों का पैसा सीधा उनके बैंक खातों में डाला जा रहा है। यही नहीं अब हरियाणा के किसान खेती के साथ मछली पालन, पशुपालन, मशरुम व फलों की खेती के जरिए अब दिशा व दशा बदलने में सक्षम हो रहा है। 

बदल रहा किसानों का जीवन स्तर

सरकार की ओर से बागवानी के क्षेत्र में किए गए सुधारों और अनुदान योजना व भावांतर भरपाई योजना से आज किसानों का जीवन स्तर बदल रहा है। भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत टमाटर, प्याज, आलू, फूलगोभी, किन्नू, अमरुद, गाजर, मटर, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, हरी मिर्च, लौकी, करेला, बंदगोभी, मूली, लहसून, हल्दी व आम को शामिल किया है। इस योजना के अंतर्गत 4187 किसानों को करीब 10 करोड़ 12 लाख रुपए की राशि भरपाई के तौर पर दी जा चुकी है।

मंडीकरण प्रणाली भी हुई मजबूत

इसके अलावा मेरा पानी मेरी विरासत योजना में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की दूरगामी सोच साफ नजर आई है। सात वर्षों में किसानों ने इस योजना के तहत करीब 75 हजार एकड़ में धान की जगह वैकल्पिक फसलों की बिजाई की और प्रोत्साहन राशि के रूप में इन किसानों के खाते में 54 करोड़ की राशि जमा करवाई गई। यही नहीं इस सरकार ने मंडीकरण प्रणाली को भी मजबूत किया।

किसानों के उत्थान को लेकर वचनबद्ध है सरकार

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि उनकी सरकार पिछले 7 वर्षों में लगातार किसान हितैषी साबित हो रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का भी भरपूर सहयोग हमें मिल रहा है। अभी केंद्र सरकार ने कृषि अवसंरचना कोष योजना के तहत हरियाणा को 3900 करोड़ की राशि आंवटित की गई है।

प्रदेश के किसान इसके अंतर्गत शामिल योजनाओं का लाभ ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के उत्थान को लेकर पूरी तरह वचनबद्ध है तथा अब सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करने के लिए ही विशेष पहल होगी व राज्य में सोलर पंप भी तीव्र गति से 75 प्रतिशत की सब्सिडी पर लगाए जाएंगे। 

वरदान बनी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी हरियाणा में किसानों के लिए वरदान बनी हुई है। योजना के अंतर्गत साल 2016-17 में हरियाणा के 2 लाख 20 हजार किसानों को 296 करोड़ रुपए जबकि साल 2017-18 में कुल 13 लाख किसानों को इस योजना के तहत कवर किया गया।

करीब 3 लाख 24 हजार किसानों को 895 करोड़ रुपए की राशि क्लेम के रूप में दी गई। इसी प्रकार से 2018-19 में 14 लाख किसानों को योजना में शामिल करते हुए 941.60 करोड़ रुपए की राशि क्लेम के रूप में दी गई। साल 2019-20 में करीब 800 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को दिया गया।

किसान उत्पादक समूह बनाने की प्रक्रिया जारी

प्रदेश में एक हजार किसान उत्पादक समूह बनाने की प्रक्रिया जारी है। 486 किसान उत्पादक समूह बनाए जा चुके हैं। इन समूहों की ओर से 150 इंटीग्रेटेड पैक हाऊस बनाए जाएंगे। गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 7 हजार करोड़ रुपए की लागत से एक उद्यान मार्कीट स्थापित की गई है। बागवानी तकनीकों के प्रदर्शन के लिए इस वित्तीय वर्ष में 2 नए उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाने हैं, जबकि 8 पहले बनाए जा चुके हैं।

Rajni Thakur

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