आज हरियाणा की बेटियां किसी से भी कम नहीं है। वह हर क्षेत्र में अपने नाम के झंडे गाड़ रही हैं। हरियाणा की फोगाट बेटियों पर बनी फिल्म जो आज एक कहावत बन चुकी है कि ‘म्हारी बेटी बेटों से कम हैं के’। बावजूद इसके प्रदेश के कई इलाकों में आज भी बहुत सी बेटियां कई मामलों में रूढ़िवादी परंपराओं (orthodox traditions) के चलते पिछड़ी हुई हैं और इन परंपराओं को खत्म करने के लिए ढाणा लाडनपुर गांव की बेटी व उनके परिजनों ने एक अनूठी पहल शुरू की। उच्च शिक्षा हांसिल कर सरकारी नौकरी (Government Job) कर रही उषा ने अपनी शादी पर सदियों पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए कुछ ऐसा किया जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया।
उषा को घोड़ी पर बैठा देख पूरा गांव उमड़ पड़ा सभी परिजन नाच उठे। अपना इतना मान सम्मान व खुशी देख उषा अपने आप को रोक नहीं पाई। उषा भी इस गर्व और खुशी के पलों को यादगार बनाते हुए घोड़ी से उतरी और नाचने लगी।
उषा ने बताया कि उसके माता पिता ने कभी बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं किया। उषा ने कहा कि उनके गाँव में ये नई पहल शुरू हुई है जिससे बेटियां प्रोत्साहित होंगी। उसने कहा कि हर किसी को अपनी बेटी को शिक्षा के साथ हर वो चीज देनी चाहिए जिससे वो खुले मन से बेटों की बराबरी करते हुए आगे बढ़ सके।
वहीं उषा की मां ने अपनी बेटी की शादी पर शुरू हुई इस पहल से बेहद खुश है। वहीं उषा के चचेरे भाई प्रीतम व चांद ने कहा कि उषा के पिता आज इस दुनिया में नहीं लेकिन उनके द्वारा दी गई शिक्षा व संस्कार से उषा आज इस मुक़ाम पर है और बेटियों का मनोबल बढ़ाने तथा प्रोत्साहन के लिए ये पहल शुरू की है।
कहते हैं कि संस्कार व शिक्षा ही एक इंसान को सभ्य व कामयाब बनाते हैं। ऐसा इंसान ही समाज में बदलाव करता है। जिसका जीता-जागता उदाहरण उषा है। अब देखना होगा कि उषा की ये पहल समाज को सुधारने में कितनी सार्थक सिद्ध होती है।
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