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हरियाणा: TB का मरीज ढूंढने पर मिलेगा हजारों का इनाम, लाभ उठाने के लिए पढ़े पूरी खबर

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Eradication Program) के तहत पानीपत की डाइंग यूनिटों सहित अन्य फैक्ट्रियाें, छोटे कारखानों में काम करने वाले हर कर्मचारी-मजदूर की वर्ष में एक बार टीबी की जांच की जाएगी। बता दें कि जिले में फिलहाल छः टीबी यूनिट है। इसी माह मार्च में यहां की टीमें 30 फैक्ट्रियों को कवर करेंगी। कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. आशीष की ओर से यह जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का निर्णय लिया है। जिला में 15 सदस्यीय टीबी फाेरम बनी हुई है। टीबी मुक्त भारत अभियान (TB Free India Campaign) में सहभागिता के लिए फोरम सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कादियान के नेतृत्व में काम कर रही है।

इस समय जिला में करीब 3000 मरीज दवा का सेवन कर रहे हैं। हर साल इस रोग से 80-90 मरीजों की मौत भी होती है। टीबी जांच के दौरान श्रमिकों को रोग के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में भी बताया जाएगा।

स्वस्थ हो चुके लोगों को भी वालियंटर (volunteer) बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा। डॉ. आशीष का कहना है कि पानीपत (Panipat) एक ओद्यौगिक शहर है इसलिए यहां मजदूर (Labour) और माइग्रेट तबका लाखों में है। उनकी जांच-इलाज से ही लक्ष्य हासिल हो सकता है।

रोगी तलाशने पर मिलेंगे इतने हजार रुपए

  • 500 रुपये मासिक पोषण भत्ता मरीज को।
  • पॉजिटिव मरीज को तलाशने पर 1000 भत्ता।
  • एमडीआर मरीज को दवा खिलाने वाले वर्कर को मिलेगा 5000 भत्ता।

इन रोगियों को नहीं लगता टीका

मल्टी ड्रग रजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस, एमडीआर (Multi drug resistance tuberculosis, MDR) के मरीजों को अब टीका नहीं लगता। अब उनका सिर्फ गोलियों से इलाज होता है। पहले मरीज (Patient) सुई के कारण इलाज से कतराते थे। इंजेक्शन का सूजन-बुखार के रूप में साइड इफेक्ट भी हो जाता था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization, WHO) द्वारा गाइडलाइन जारी करने पर अब ओरल इलाज (oral treatment) किया जा रहा है।

सजा का भी है प्रावधान

वर्ष 2018 में केंद्र सरकार (Central Government) ने नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों के चिकित्सकों को भी टीबी के मरीजों का पूरा ब्योरा स्वास्थ्य विभाग को देना अनिवार्य है। अगर कोई डॉक्टर मरीजों की रिपोर्ट छिपाता है तो उसके खिलाफ धारा 269/270 के तहत FIR दर्ज हो सकती है। इसमें छः माह से दो साल तक की सजा का भी प्रावधान है।

Rajni Thakur

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