बचपन से ही हम लोगों को पौराणिक कथाएं सुनाई जाती हैं। हमारे बड़े-बुजुर्ग बहुत सारी कथाएं सुनाया करते थे। लगभग हर किसी ने रामायण तो जरूर सुनी ही होगी। रामायण के ऊपर तो कई टीवी धारावाहिक भी बनाए जा चुके हैं। लेकिन इनमें हर चीज या घटना सत्य नहीं होती। इसको इंटरेस्टिंग बनाने के लिए डायरेक्टर इसमें कुछ ना कुछ बदलाव कर देते हैं ताकि लोगों को यह पसंद आए। बात करें रामायण की तो सभी जानते हैं कि रामायण में राम जी चार भाई थे। यह चारों राजा दशरथ और उनकी तीन पत्नियां कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी के पुत्र थे। लेकिन बहुत ही कम लोगों को यह मालूम होगा कि श्री राम की एक बहन भी थी और बहुत ही कम लोगों को इसका ज्ञान है।
जी हां हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की एक बहन भी थी और इनका नाम शांता था। राम, लक्ष्मण और सीता की बहुत सी कहानियां हम लोग अच्छी तरह जानते हैं लेकिन शांता के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान श्री राम की बहन के बारे में बताने वाले हैं।
रामायण में भी शांता का जिक्र मिलता है वह राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं। रामायण में बताया गया कि राजा दशरथ की के 4 पुत्रों के अलावा एक पुत्री भी थी। इनका नाम शांता था। खास बात तो यह है कि शांता भगवान श्री राम की बड़ी बहन थीं।
ये है देवी शांता की कहानी
रामायण की माने तो कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति राजा रोमपद एक बार अयोध्या आए थे। रोमपद अंग देश के राजा थे। मजाक-मजाक में वर्षिणी ने बहन कौशल्या से शांता को गोद लेने की बात कही और तभी राजा दशरथ ने उनकी यह बात सुन ली।
इसके बाद राजा दशरथ ने वर्षिणी को अपनी बेटी शांता को गोद देने का वचन दे दिया। और इस प्रकार वर्षिणी और रोमपद ने शांता को गोद ले लिया और वह अंग देश की राजकुमारी बन गईं। राजा रोमपद ने शांता की शादी ऋषि श्रृंगी से करवाई थी।
इसके अलावा एक और मान्यता है कि राजा दशरथ ने अपनी पुत्री एक ऋषि को गोद दे दी थी। वहीं कुछ मान्यताओं के मुताबिक शांता के अलावा राजा दशरथ की एक और बेटी थी और उसका नाम कुकबी था। लेकिन इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली। इस वजह से उनका जिक्र बहुत ही कम होता है।
यहां होती है देवी शांता की पूजा
बता दें कि आज के समय में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की बहन शांता को भारत के कुछ स्थानों पर पूजा भी जाता है। जानकारी के अनुसार देवी शांता के भारत में 2 मंदिर हैं। इनमें से एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। यहां उनकी प्रतिमा भी स्थापित है। इस मंदिर में देवी शांति और उनके पति श्रृंगी ऋषि के साथ में पूजा की जाती है।
अलग-अलग स्थानों से भक्त जन्म दोनों की पूजा करने आते हैं। इस मंदिर में जो भी भक्त देवी शांति और श्रृंगी ऋषि की सच्चे मन से पूजा करता है उसे भगवान राम का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं दूसरा मंदिर कर्नाटक के श्रृंगेरी स्थित है। बता दें कि श्रृंगी ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम पड़ा।
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