गर्मियां आ गई हैं और लोगों को तरोताजा करने के लिए तरबूज से बेहतर कोई ऑप्शन नहीं है। और यमुना का तरबूज तो वैसे भी अपने स्वाद के लिए बहुत ही ज्यादा फेमस है। अब आप इस तरबूज का लुत्फ उठा सकते हैं। यमुना क्षेत्र का तरबूज अब क्षेत्रीय मंडियों में आना शुरू हो चुका है। अप्रैल माह के अंत तक किसानों ने तरबूज तोड़ना शुरू कर दिया था। बीते कई महीनों से यमुना में पालेज तैयार करने में जुटे किसानों की मेहनत अब धीरे-धीरे रंग ला रही है।
समय के साथ बेलों पर लगे फल अब बड़े तरबूज का रूप ले चुके हैं। इन तरबूजों का स्वाद इतना बढ़िया होता है कि सड़कों पर बेचने वाले वेंडर हर रोज 25 से 30 क्विंटल बेचकर अपने घर जाते हैं।

हरिद्वार रोड पर यमुना किनारे यह तरबूज बेचने वालों की कई दुकानें सजी होती है। क्योंकि यहां का तरबूज दानेदार और मिठास से भरा होता है। इस समय यमुना की तलहटी तरबूज के फलों से भरी नजर आती है। इन तरबूजों को तोड़कर किसान अब क्षेत्रीय मंडी में बेचने के लिए भी लाने लगे हैं। पानीपत के किसानो का कहना है कि इस बार तरबूज और खरबूजे की फसल अच्छी तैयार हुई है।

गांव का तरबूज दिल्ली, पंजाब, देहरादून, चंडीगढ़, सहारनपुर आदि मंडी में बिकने के लिए प्रत्येक वर्ष जाता है। तरबूज की फसल को पानी भी ज्यादा देना पड़ता है और यमुना के किनारे के तरबूज की पालेज को पानी की कोई कमी नहीं रहती।

वैसे इस बार तरबूज का आकार अपेक्षाकृत सही है। एक बार की तुड़ाई में 150 क्विंटल के करीब तरबूज मिल जाता है। इस बार फल भी ठीक ठाक हरा निकल रहा है।

किसानों का कहना है कि यहां का तरबूज अन्य तरबूजों के मुकाबले बड़ा और काफी मीठा होता है। क्योंकि इसका मुख्य कारण है भूमि बदलाव जब यमुना का जलस्तर बढ़ता है। तो मिट्टी भी दूसरी जगह कि वह कर वहां आ जाती है और दूसरी जगह के पोषक तत्व वहां इकट्ठा हो जाते हैं। हर साल यहां की भूमि में बदलाव हो जाता है और मिठास फल में 2 गुना हो जाती है।