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जब स्पेनिश फ्लू ने तोड़ दी थी अमेरिका की अर्थव्यवस्था की कमर, कम पैसों में काम कर महिलाओ ने संभाला देश को

दुनिया भर में इस समय कोविड नाम की महामारी की वजह से कोहराम मचा हुआ है। दुनिया के सभी ताकतवर देश कोरोना के सामने बेबस नजर आ रहे हैं। साल 1918 में भी एक वायरस ने भयानक तबाही मचाई थी और इसकी भयावहता का अनुमान लगाना भी मुश्किल है। स्पेनिश फ्लू नाम की इस महामारी से साल 1918 में दुनियाभर के 5० करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे और करीब 2-5 करोड़ लोगों की जान चली गई थी।

दुनिया भर में लोगों की मौत के ये आंकड़े प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की कुल संख्या से ज्यादा हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी में इतिहासकार और 1918 की महामारी से प्रभावित 43 अमरीकी शहरों का अध्ययन करने वाले जे. एलेक्जेंडर नवारो ने सिलसिलेवार उन गलतियों का उल्लेख किया है, जो 1918 में लोगों ने की।

उस वक्त और आज की महामारी के बीच मुख्य अंतर आर्थिक परिदृश्य को लेकर है, खासकर खुदरा, रेस्तरां, थियेटर और अन्य व्यवसाय।1918 में स्थानीय अर्थव्यवस्था पर ऐसा प्रभाव भी नहीं पड़ा, क्योंकि विनिर्माण क्षेत्र काफी मजबूत था।

अब सर्विस सेक्टर अर्थव्यवस्था की बुनियाद है, लिहाजा तब से ज्यादा आर्थिक प्रभाव दिख रहे हैं। स्पेनिश फ्लू से पहले महिलाओं के काम पर जाने की परंपरा आज की तरह नहीं थी।

यह स्पेनिश फ्लू ही था जिसके बाद महिलाओं को नौकरी पर जाने को लेकर पूरी सोच बदल गई। इसके चलते महिलाओं के लिए काम करने के रास्ते खुल गए।’ इसके बाद अमेरिका में 1920 तक देश के सभी कर्मचारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 21 फीसदी पर पहुंच गई थी।

उसी साल अमेरिकी कांग्रेस ने संविधान में 19वां संशोधन किया और इसके जरिए अमेरिकी महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिल गया। स्पेनिश फ्लू कहां से शुरू हुआ? अब तक इसका कोई मजबूत जवाब नहीं मिला है। अलग-अलग दावों के मुताबिक फ्रांस, चीन और ब्रिटेन के अलावा अमेरिका को भी इसका जन्मस्थान माना जाता है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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