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लॉकडाउन में शुरू किया दवाइयों और एम्बुलेंस का स्टार्टअप शुरू, 200 से ज़्यादा मरीज़ों की कर चुके है मदद

भारत आज भी महामारी की दूसरी लहर से लड़ रहा है। आए दिन कोरोना से जुड़ी नकरात्मक खबरे आती रहती है इसी बीच एक राहत वाली खबर आपको बता देते है। बिहार के रहने वाले नीरज झा ने लॉकडाउन में ऑनलाइन एम्बुलेंस और दवाइयों का स्टार्टअप शुरू किया था। उन्होंने जुलाई 2020 में हनुमान नाम से एक स्टार्टअप लॉन्च किया था। अब वो बिहार के 22 जिलों में अपनी एम्बुलेंस सर्विस चला रहे हैं। जिससे हर महीने उनका रेवेन्यू 10 से 12 लाख हो रहा है।

नीरज की टीम में अभी 16 लोग काम कर हैं। वो हर दिन वो 200 से ज्यादा लोगों तक अपनी सर्विस पहुंचा रहे हैं। आपको बता दे कि लोगों के मदद के लिए नीरज ने एक ऐप, एक वेबसाइट और एक सॉफ्टवेयर भी डेवलप किया है, जिसके जरिए वह लोगों तक सही समय पर पहुंच सके।

लोग इन सबके जरिये एम्बुलेंस और दवाइयों की बुकिंग करते है और वह जल्द से जल्द उन तक सारी सुविधाएं पहुंचने का कार्य करते है।अभी वे बिहार के 22 जिलों में एम्बुलेंस सर्विस चला रहे हैं।

इससे हर महीने 10 से 12 लाख उनका रेवेन्यू हो रहा है। डॉ .नीरज कहते हैं, “एम्बुलेंस उपलब्धता देश में पहले से ही एक मुद्दा था और COVID-19 ने केवल इसकी मांग को बढ़ाकर समस्या को तेज कर दिया।

पटना में, हमने एम्बुलेंस सेवाओं की बढ़ती कीमतों को भी देखा, जहां 10KM की यात्रा पर 20,000 रुपये का शुल्क लगाया जा रहा था। हमने हनुमान के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने का फैसला किया।” नीरज कहते हैं कि इस काम को शुरू करने का आइडिया दो साल पहले आया था।

तब मैं एक अस्पताल में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम कर रहा था। उसी दौरान आईटी एक्सपर्ट दीपक से मेरी मुलाकात हुई जो अपने पिता के इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे थे।

दीपक बेंगलुरु में जॉब कर रहे थे। अपने पिता के लिए उन्होंने ऑनलाइन मेडिकल हेल्प की कोशिश की, लेकिन कहीं से रिस्पॉन्स नहीं मिला तो उन्हें खुद दरभंगा आना पड़ा।

उस मुलाकात के बाद हम दोनों दूर के परिचित निकले। उसी दौरान हमारे दिमाग ये आइडिया आया कि इस तरह की कोई पहल की जाए ताकि लोगों को ऑनलाइन मेडिकल हेल्प और सपोर्ट मिल जाए।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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