हरियाणा के जिला यमुनानगर (Yamunanagar) के गांव तलाकौर में हाजीपीर के पास करीब 200 साल से भी पुराना बरगद का पेड़ (Banyan tree) है। बचपन में काफी उतार चढ़ाव देखे, लेकिन स्वस्थ है। खुशी मिलती है जब उसकी शीतल छांव से राहगीरों की थकावट दूर होती है। उसकी शाखाएं कई तरह के रोगों से छुटकारा भी दिला रही हैं। गांव के बुजुर्ग इसे प्राचीन करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि बरगद के इस पेड़ से हर ग्रामीण का नाता है। आज इस पेड़ के जरिए हर घर के लोग अपने बुजुर्गों को याद करते हैं।
75 वर्षीय बुजुर्ग अजमेर सिंह सैनी ने बताया कि करीब 200 वर्ष पहले इस वृक्ष को राजा सैनी व अली नवाज ने लगाया था। जब यह पौधा लगाया था उस दौरान आसपास पानी की भी व्यवस्था नहीं है।
गांव में कुए हुआ करते थे। यहां से करीब दो किलोमीटर दूरी पर एक कुआ था। वहीं से पानी लाकर इस पौधे को सींचा। पौधा लगाने के छह माह तक कई सूखा। लेकिन बुजुर्गों ने भी हार नहीं मानी। लगातार कुए से पानी लाकर सिंचाई करते रहे। पौधे की काफी देखरेख की। जैसे-जैसे समय बढ़ता चला गया, यह पौधा भी पेड़ बनता चला गया।
बचपन की याद दिलाता है पेड़
80 वर्षीय राम सिंह ने बताया कि यह पेड़ हमें हमारे बुजुर्गों की याद दिलाता है। हमें बचपन की याद दिलाता है। पेड़ की छाया में पहले हमारे बाप-दादा बैठते थे। अब हम बैठते हैं। इसी वृक्ष के नीचे हम बचपन में खेलते थे। अब हमारे बच्चे भी खेलते हैं।
बुजुर्ग शहीबूदीन व अख्तर ने बताया कि आयुर्वेद के हिसाब से भी इस वृक्ष का महत्व है। लोग इस पेड़ की टहनियों को तोड़कर दातुन करते हैं। इसके दूध को भी औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है। दातुन करने से दांतों में कीड़ा नहीं लगता।
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