दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। भारत में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हरियाणा राज्य के पानीपत शहर में इस पर्व पर अजीबोगरीब परंपरा है। दशहरे पर शहर की सड़कों पर हनुमान सेना घूमती है। जगह-जगह इस सेना का स्वागत किया जाता है।
पुतला दहन से पहले सैकड़ों की संख्या में हनुमान सेना पहुंचती है। हनुमान सेना अपना पराक्रम दिखाती है। पटाखो जलाए जाते है, आतिशबाजी होती है। इसके बाद ही रावण के पुतले का दहन होता है।
दशहरे से पहले ही हनुमान सेना व्रत रखना शुरू कर देती है। हनुमान सेना को हनुमान स्वरूप भी कहते हैं। कई किलो का हनुमान स्वरूप धारण करके लोग घूम-घूम कर श्रीराम के जयकारे लगाते हैं। शहर भर में हनुमान स्वरूप गोला (बम) फोड़कर उत्सव का सिंहनाद करते हैं। यह परपंरा पाकिस्तान में शुरू हुई थी। विभाजन के बाद पाकिस्तान से लैय्या समाज के लोग इस परंपरा के साथ पानीपत आए थे।
हनुमान स्वरूप 21 से 41 दिनों का व्रत रहते हैं। एक समय बिना नमक का भोजन ग्रहण करते है। शहर भर घूमते हुए, लोगों के घरों पर जाते हैं। ब्रह्मचर्य का सख्ती से पालना करना होता है। व्रतधारी जमीन या लकड़ी के तख्त पर सोते है। नंगे पैर शहरभर का भ्रमण करते है। वहीं व्रतधारी इस दौरान उनके घर न जाकर मंदिर में ही दिन व्यतीत करते है।
श्री कृष्णा क्लब दशहरा कमेटी की ओर से सेक्टर-12 कटारिया लैंड में दशहरे का आयोजन होगा। इसमें लंकापति रावण का पुतला 90, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला 85 फीट का होगा। करीब 110 हनुमान सभाओं की रावण दहन के समय उपस्थित रहने की सहमति क्लब को प्राप्त हो चुकी है। ये सभाएं अपने दल बल व हनुमान स्वरूपों के साथ मेले की साक्षी बनेगी और जय श्रीराम का जयघोष करेंगी। मेले का सब से सुंदर आकर्षण हनुमान स्वरूपों की ललकार को ही माना जाता है।
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