घीया, करेले, तोरी व खीरे की खेती कैथल के किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। यदि मौसम की मार से बचे रहे तो सब्जियों की खेती फायदे का सौदा है। ये सब्जियां निरोगी और गुणकारी होती हैं। गेहूं और धान की खेती सब्जियों की खेती के आगे आय के मामले में कहीं नहीं ठहरती। यह कहना है करीब 15 साल से सब्जियों की खेती कर रहे जडौला का किसान श्याम लाल। किसान ने यह भी कहा कि आच्छी मुर्राह नस्ल की भैंस भी राखी, पैसा भी खूब कमाया, पर सब्जी की खेती बरगा मजा नहीं आया बस ईब तो यौहे धंधा मेरे मन नै भाया।
किसान श्याम लाल ने बताया कि वह कई सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं, इससे पहले वह पशुपालन के व्यवसाय में भी जुड़ा रहे। किसान बताता है कि उनके पास सिर्फ अढ़ाई एकड़ अपनी जमीन है और लगभग 25 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर कार्य कर रहे हैं। इनमें से लगभग 7-8 एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं। किसान ने पूछने पर बताया कि यदि मौसम अच्छा रहे और बाजार में भाव अच्छा मिल जाए तो एक एकड़ में एक बार की फसल में 2 से अढ़ाई लाख रुपये तक खर्चा निकालकर बच जाते हैं, जबकि एक एकड़ में उगाई गई घीया की फसल पर करीब एक लाख रुपये खर्चा आता है। इसी प्रकार एकड़ में यदि खीरे की फसल लगाई जाती है तो मौसम के अनुसार खर्चा तो करीब लाख ही आता है, लेकिन यह तीन-चार महीनें की फसल होती है, इसलिए भाव अच्छा मिल जाए तो एक से डेढ़ लाख रुपये शुद्ध लाभ मिल जाता है।
किसान ने अपने खेत में फसलों का पूरा ब्यौरा देते हुए कहा कि तोरी और करेले की फसल भी अच्छा मुनाफा दे देती है। फरवरी से अप्रैल महीने में करेले की फसल लगाई जाती है और करीब 6 महीने तक चल जाती है। इस फसल से भी किसान गेहूं और धान के मुकाबले अच्छा लाभ कमा सकता है। जहां तक तोरी का जिक्र है नवंबर व दिसंबर में लगा दी जाती है और फरवरी से फसल देना शुरू कर देती है। सब्जियों के उत्पादन में मजदूरी, बांस लगाना, रस्सी और दवाई इत्यादि भी खर्चों में शामिल हैं। एक एकड़ में लगभग 600 बांस लग जाते हैं, जिन पर घीया की बेल चढ़ाई जाती है।
किसान श्याम लाल का कहना है कि धान की खेती की बजाए सब्जियों की खेती में पूरा दम है। फसल अच्छी लग जाए तो किसान मालामाल हो जाता है। मैं करीब 15 साल से सब्जियों की खेती कर रहा है। मुझे सब्जियों की खेती प्रेरणा मेरी अंतर आत्मा ने दी है। मैं अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करता हूं। सब्जी की खेती के गुर सीखने के लिए अन्य जिलों जैसे करनाल, पानीपत व अन्य स्थानों पर भी गया। बागवानी विभाग भी अच्छा सहयोग करता है। बीज, बांस, इत्यादि मुहैया करवाने में मदद करता है। किसान श्याम लाल पुत्र अमर सिंह ने कहा कि सब्जी की खेती कोई घाटे का सौदा नहीं है, बल्कि हम यदि मेहनत करके यह कार्य करेंगे तो अच्छी कमाई कर सकते हैं।
गाजर की फसल भी पंसदीदा व्यवसाय है। गाजर बौण की मशीन भी राखुं अर गाजर धोण की मशीन भी राखूं। गाजर की बात करूं तो सितंबर और अक्टूबर में डयोल पर लगाई जाती है और तीन महीनें बाद गाजर की फसल तैयार हो जाती है। इसके लगाने में खर्चा कम होता है और आमदनी भरपूर होती है। किसान का कहना है कि खर्चा कम और आमदनी भरपूर और प्यारे किसान भाइयो गाजर लगाओ जरूर। जाड्यां मैं गाजर खाण तै चेहरे हो जै लाल और किसान भी होज्या मालामाल।
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