गरीबी में जिंदगी जीना वाकई बेहद मुश्किल होता है। आज भी कई लोग इसी मुश्किल में जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं। कई लोग तो गरीबी के कारण कम उम्र में ही अपनी बेटी की शादी करा देते हैं और कई लोगों को अपनी पढ़ाई तक भी छोड़नी पड़ जाती है। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने ऐसी ही मुश्किलों का सामना किया।
इस अफसर का नाम प्रीति हुड्डा है। प्रीति आज आईएएस अफसर के तौर पर अपनी सेवाएँ दे रही हैं। लेकिन उनके लिए ये सफर आसान नहीं था। प्रीति के पिता भी एक बस चलाने का काम करते थे जिससे घर का गुजारा चलाना भी काफी मुश्किल था। ऐसे में उन्होंने प्रीति से शादी करने के लिए भी कहा लेकिन प्रीति ने एक न सुनी और आज कड़ी मेहनत से अपने सपनों को पूरा किया। आइए जानते हैं प्रीति हुड्डा के बारे में।
चाहो तो जिंदगी में सब हासिल किया जा सकता है। आमतौर पर कई लोग सोचते हैं कि हिन्दी माध्यम से पढ़ाई कर जिंदगी में सफलता को हासिल नहीं किया जा सकता। सिविल सेवाओं में भी लोग हिन्दी माध्यम को चुनने में डरते हैं।
लेकिन वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने हिन्दी माध्यम को ही अपनी ताकत बनाकर इस सफलता को हासिल किया और अनेकों लोगों के लिए मिसाल भी कायम की है। आज कहानी एक ऐसी ही महिला अफसर की जिसने तमाम मुश्किलों के बाद हिन्दी के सहारे ही परीक्षा में सफलता को हासिल किया
ये अफसर और कोई नहीं बल्कि प्रीति हुड्डा हैं। प्रीति हरियाणा के बहादुरगढ़ की रहने वाली हैं। बेशक आज वे अफसर के पद पर काम कर रही हैं लेकिन उन्होंने कई मुश्किलों के बाद इस सफलता को हासिल किया है।
प्रीति के घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी ऐसे में उनके लिए पढ़ाई करना भी काफी मुश्किल था। लेकिन हमेशा से ही कुछ बड़ा करने की चाह रखने वाली प्रीति ने कड़ी मेहनत से वो कर दिखाया जो आज कई लोगों के लिए मिसाल है।
बता दें कि प्रीति के पिता के बस ड्राइवर के तौर पर काम किया करते थे जो दिल्ली परिवहन निगम की बसों को चलाते थे। लेकिन इससे भी उनके परिवार का गुजारा नहीं चल पाता था। घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। लेकिन प्रीति शुरुआत से ही पढ़ने में काफी अच्छी थी। प्रीति ने 10वीं कक्षा को 77% तो वहीं 12वीं कक्षा को 87% अंकों के साथ पास किया था।
लेकिन इसके बाद प्रीति का परिवार प्रीति की शादी करवा देना चाहता था क्यूंकि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। परंतु प्रीति आगे पढ़ना चाहती थी। ऐसे में प्रीति ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली के लक्ष्मी बाई कॉलेज में दाखिला ले लिया। मास्टर्स की पढ़ाई करने के बाद प्रीति ने पीएचडी के लिए जेएनयू जाने का फैसला किया। शोध के लिए भी उन्होंने हिन्दी विषय को ही चुना था।
अब पीएचडी करने के दौरान ही प्रीति ने यूपीएससी की तैयारी करना भी शुरू कर दिया था। उन्होंने कम पैसों में ही गुजारा चलाना शुरू किया और यूपीएससी के लिए जमकर मेहनत करने लगी। हालांकि जब पहली बार उन्होंने परीक्षा दी तो उन्हें असफलता ही मिली लेकिन प्रीति ने हार नहीं मानी। इसके बाद प्रीति ने बिना निराश हुए दूसरा प्रयास जिसमें उन्हें 288वीं रैंक मिली और इसी के साथ उनका आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया।
मीडिया से बातचीत के दौरान प्रीति ने बताया कि उनके पिता मुंह पर कभी तारीफ नहीं करते हैं। लेकिन जब उन्होंने ये खबर अपने पिता को दी तो वे बस चल रहे थे और उन्होंने खबर सुनते ही कहा “शाबाश मेरा बेटा, मैं बहुत खुश हूँ” वहीं प्रीति का ये भी कहना है कि 10 घंटे की तैयारी की बजाए सही दिशा में तैयारी करना ज्यादा जरूरी होता है।
वहीं प्रीति का मानना ये भी है कि तैयारी के दौरान मस्ती करना भी जरूरी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रीति भी तैयारी के दौरान फिल्में देखा करती थी। प्रीति की सलाह है कि पूरे आत्मविश्वास के साथ सिलेबस को पूरा करना चाहिए और ज्यादा पढ़ाई की सामग्री को इकट्ठा नहीं करना चाहिए।
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