हरियाणा की इस नन्ही उड़नपरी ने मैराथन में बड़े-बड़ों को छोड़ा पीछे,कम समय में बनाया रिकार्ड

हरियाणा की बेटी आज अपनी काबिलियत से सबको पीछे पछाड़ रही है। वह चाहे पढाई हो या खेल कूद वे सबमें आगे है। इसलिए कहते हुए हैं की म्हारी छोरियां छोरों से कम है के। लेकिन आज हम आपकों जिस बेटी की काबिलियत बताएंगे उसकी उम्र जानकार आपके होश उड़ जाएंगे।

दरअसल यह बेटी है गांव खेड़ी सांपला की रहने वाली है, इनका नाम दिशी वशिष्ठ है। जो मात्र आठ साल की हैं। लोग इनको उड़नपरी के नाम से भी जानते हैं। क्योंकि जब दिशी
दौड़ती हैं तो दर्शक उनकी गति को देखकर दंग हो जाते हैं।
वह ऐसे दौड़ती हैं, मानों हवा से बात कर रहीं हो।वह अपनी काबिलियत से कभी चंडीगढ़, कभी देहरादून तो कभी नोएडा में पदक जीत रही हैं।

उन्होंने अभी हाल ही में चंडीगढ़ में आयोजित हुई 5 किलोमीटर की मैराथन को मात्र 18 मिनट 25 सेकंड में पूरा किया है। अपनी गति से उन्होंने बड़े-बड़े धावकों को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया है ।

बता दें कि दिशी को बचपन से ही दौड़ने का शौक था। जब बचपन में वह गली में बच्चों के साथ खेलते हुए दौड़ती थी तो, वह अपनी उम्र से बड़े बच्चों को भी पीछे छोड़ देती थी।
उनकी इसी दिलचस्पी को देखते हुए उनके पिता दिनेश उन्हें ग्राउंड में ले जाने लगे, देखते ही देखते उनके प्रदर्शन में निखार आ गया।

जिसके बाद से वह आस-पास के छोटे-छोटे टूर्नामेंट में हिस्सा लेने लगी। जहां पर उन्होंने ओपन कैटेगरी में युवाओं को टक्कर देना शुरू कर दिया। जिसमे उन्होंने बड़े-बड़े धावकों को पछाड़ा और पदक जीत कर लाई। उनके पिता का कहना है कि दिशी ओलिंपिक में देश के लिए पदक लाना चाहती है। उनकी काबिलियत और कड़े परिश्रम को देखते हुए लगता है कि वह एक दिन जरूर अपने लक्ष्य में सफल होंगी।

उनकी हाल की उपलब्धियां

16 अक्टूबर देहरादून में अंडर-14 में पांच किलोमीटर में गोल्ड मेडल।

23 अक्टूबर को हंगरी अंबेसी मैराथन ओपर कैटेगरी पांच किलोमीटर में सिल्वर मेडल।

06 नवंबर को चंडीगढ़ ओपन कैटेगरी पांच किलोमीटर 18 मिनटर 25 सेकेंड का।

13 नवंबर ग्रेटर नोएडा ओपन कैटेगरी पांच किलोमीटर में गोल्ड मेडल।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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