खानपुर के पुष्पेंद्र ने कुछ अलग ही कर दिखाया। उन्होंने करीब 2 साल पहले पुश्तैनी गांव खानपुर में अपनी जमीन पर देसी कोलू से तेल बनाने का कार्य शुरू किया था कि लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद की जा सके।
खास बात यह कि बेल चलाने वाली पुष्पेंद्र एमबीए डिग्री धारक है।
इसके काम को शुरू करने से पहले उनके दोस्तों ने बोला था कि यह नहीं चलेगा। जिले के गांव खानपुर में देसी कोलू से पुष्पेंद्र कुमार दिन-रात कड़ी मेहनत करते निकालते हैं। लेकिन प्राचीन संस्कृति को जीवित रखने के लक्ष्य को लेकर प्रकृति का दोहन छोड़कर प्रकृति की ओर चलने का निर्णय पुष्पेंद्र ले चुके हैं।
एक देसी कोलू लगाया। इस कार्य में उनकी मदद दो बैल मिला और बादल करते हैं जो दिन रात कड़ी मेहनत कर सरसों, नारियल, मूंगफली, तिलहन और अलसी से तेल निकालते हैं।
बड़ी बात यह है कि जिस काम को आधुनिक मशीन कुछ घंटों में ही पूरा कर देती है वहां इस पद्धति में एक कुंतल अनाज से तेल निकालने के लिए 25 घंटे तक का मंथन किया जाता है और साथ ही पुष्पेंद्र बताया कि 2 साल में वह अमेरिका समेत कई देशों और राज्य में कई लोगों को डिलीवरी दे चुके हैं।
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