देश में बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अहम फैसला लिया है. बोर्ड ने अपने सभी स्कूलों को 22 भारतीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम मानने की अनुमति दे दी है. CBSE बोर्ड के इस फैसले से आप अपने क्षेत्र की भाषा चुन सकते हैं लेकिन शर्त रखी गई है कि जिस भाषा को आप चुनते हैं वह भाषा उन 22 भरतीय भाषाओं में शामिल होना चाहिए जो सरकार की ओर से चिन्हित की गई हैं.
बोर्ड निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. जोसेफ इमैनुएल ने सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों को भेजे पत्र में कहा है कि बहुभाषावाद को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए कुछ चुनौतियां आ सकती हैं लेकिन इनका समाधान निकलेगा. सबसे प्रमुख बाधा संबंधित भाषा में शिक्षकों और किताबों की उपलब्धता की है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने NCERT को 22 भारतीय भाषाओं ( Indian Language) में पाठ्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया है. NCERT ने इस कार्य को प्राथमिकता पर लिया है ताकि अगले साल से सभी स्टूडेंट्स को 22 भाषाओं में किताबें उपलब्ध कराई जा सकें. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस फैसले पर सहमति प्रदान की है. प्रधान ने कहा है कि शिक्षा में बेहतर आउटकम की दिशा में यह एक अच्छी शुरुआत हो सकती है. इसके अलावा, अन्य कई मंत्रियों से लेकर पर्सनलटीज ने भी इसकी काफी सराहना की है, जिसे लेकर फिलहाल चर्चा का बाजार गरमा गया है.
यूजीसी (UGC) चेयरमैन ममीडाला जगदेश कुमार ने कहा है कि सीबीएसई (CBSE) स्कूलों में 12वीं तक भारतीय भाषाओं में पढ़ाने के फैसले से उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र आसानी से सामंजस्य बैठा सकेंगे. उन्हें स्थिरता भी मिलेगी. वे भारतीय भाषाओं में सोच व काम कर सकेंगे. यह कदम छात्रों को रचनात्मक और इनोवेटिव बनाएगा. इससे क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा मिलेगा और भारत की 22 भाषाएं मजबूत होंगी. इसके साथ क्षेत्रीय तौर पर भी ये सभी भाषाएं मजबूत हो जाएंगी.
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