हरियाणा की प्रदेश सरकार अब सरपंचों को भी उनके अधिकार बताएगी और उन्हें सरपंची का प्रशिक्षण देगी. इसके लिए 15 अगस्त के बाद का समय रखा गया है यानी 15 अगस्त के बाद प्रदेश भर के सभी सरपंचों को पंचायत विभाग की ओर से ट्रेनिंग दी जाएगी. प्रदेश में बहुत सारे सरपंच ऐसे हैं जिन्हें पंचायतों की जनता ने चुन तो लिया लेकिन, उन्हें अपने अधिकार ही मालूम नहीं है और सरपंची का तो बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है.
सरपंच एक संवैधानिक पद होता है लेकिन, आज भी वे सरपंच ग्रामीण नीतियों के आधार पर यानी वर्षों से चली आ रही गांव की नीतियों के आधार पर ही काम करते हैं. उन सरपंचों को सरकारी नीतियों के बारे में पता ही नहीं है. फैसले भी वे ग्रामीण नीतियों के आधार पर करते हैं जिसके कारण कानून व्यवस्था सही से नहीं चल पाती और लोकतंत्र को भी नुकसान पहुंचता है.
आमतौर पर देखा जाता है कि गांव में कई बार मामलों में ऐसे फैसले लिए जाते हैं जो कानून व्यवस्था यानी संविधान के बिल्कुल विपरीत होते हैं. ऐसे में पुलिस या प्रशासन को एक्शन लेना पड़ता है. इसको देखते हुए हरियाणा सरकार ने सरपंचों को ट्रेनिंग देने का बड़ा कदम उठाया है.
इसको लेकर हरियाणा पंचायत विभाग ने जिला स्तरीय अधिकारियों व खंड स्तरीय अधिकारीयों को भी नोटिस जारी कर दिया है. ये अधिकारी सरपंचों के पास पत्र भेजेंगे और उन्हें प्रशिक्षण के लिए सूचना देंगे. उसके बाद, प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और उसमें सरपंचों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
सरपंचों को ट्रेनिंग में काम करने के तरीके, पंचायत राज अधिनियम 1973-74, पंचायत किस तरह काम करती है, सरपंचों के क्या अधिकार होते हैं, सरपंचों को पंचायत के विकास के लिए किस तरह काम करना चाहिए इत्यादि विषयों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा.
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