हरियाणा में 31 जुलाई और 1 अगस्त को सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. हिंसा की घटनाएं नूंह जिले से शुरू होकर गुरुग्राम और पलवल जिलों तक पहुंच गईं. इन घटनाओं में दो पुलिसकर्मियों समेत छह लोगों की मौत हो गयी. इसके अलावा, दर्जनों निजी और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया या जला दिया गया. इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि नुकसान की गई संपत्ति की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी.
आइए जानते हैं कि हरियाणा सरकार ने संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए क्या घोषणा की है. राज्य में इसके लिए क्या नियम हैं. कानून के विशिष्ट प्रावधान क्या हैं. रिकवरी में मुआवजा कैसे मिलेगा…
सरकार ने नुकसान की भरपाई दंगाइयों से करने का ऐलान किया है. कहा है कि हमने एक एक्ट पास किया है. इसमें प्रावधान है कि सरकार सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान के लिए मुआवजा जारी करेगी लेकिन, जहां तक निजी संपत्ति का सवाल है, जिन्होंने नुकसान पहुंचाया है वे क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी हैं. निजी संपत्ति के मामले में हम यही कहेंगे कि मुआवजा उन लोगों से वसूला जाना चाहिए जो इसके लिए जिम्मेदार हैं.
हरियाणा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से मुआवजा वसूलने का कानून है. मार्च 2021 में सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी के दौरान हरियाणा क्षति वसूली विधेयक- 2021 पारित किया गया था. इसके बाद, राज्य सरकार ने वसूली के लिए नियम अधिसूचित कर दिये थे. इस कानून के तहत दंगाइयों और उपद्रवियों से वसूली का प्रावधान है. मुआवजा राशि नहीं देने पर संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान कानून में किया गया है.
ट्रिब्यूनल अध्यक्ष की नियुक्ति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर की जाती है. इसमें सरकार की ओर से सदस्यों की नियुक्ति का नियम है. डीसी नुकसान के सभी दावों को ट्रिब्यूनल को संदर्भित करेगा. ट्रिब्यूनल चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से नुकसान का आकलन करेगा. 1000 रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक की सरकारी, निजी संपत्ति के नुकसान का दावा किया जा सकता है.
आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किए गए अर्धसैनिक बलों, सेना पर खर्च होने वाली रकम पर भी दावा किया जा सकता है. पुलिस पर खर्च की गई रकम बदमाशों से वसूल नहीं की जाती. इस मामले में भी पीड़ित अपने क्षेत्र के थाना प्रभारी से नुकसान की शिकायत करेगा. वे प्राथमिकी दर्ज कर डीसी को पूरी जानकारी देंगे. डीसी पीड़ितों से दावा आवेदन मांगेंगे. 21 दिन के भीतर आवेदन करना होगा.
सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान का दावा विभागाध्यक्ष करेंगे. केवल एसडीएम या उससे ऊपर रैंक का अधिकारी ही दावा कर सकेगा. क्षति का आकलन करने के बाद यदि उपद्रवी हर्जाना नहीं देते हैं या ट्रिब्यूनल के समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं तो एक पक्षीय कार्रवाई की जा सकती है. नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर उपद्रवी व अन्य की जमीन कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी.
बता दें कि नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने मुआवजा पोर्टल https://ekshatipurtiharana.gov.in लॉन्च किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से नागरिक हाल ही में नूंह में हुई घटना के दौरान संपत्ति को हुए नुकसान की जानकारी भी दर्ज करा सकेंगे और योजना बनाकर उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व आपदा प्रबंधन कोष के प्रावधानों के अनुसार मुआवजे की राशि तय की जाती है. हालांकि, यह राशि कम है और सरकार इसे संशोधित करने पर विचार कर रही है.
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