हरियाणा के इस जिले में मिलता है चार फीट लंबा डोसा और डेढ़ फीट का पराठा, लॉकडाउन में खुला था ढाबा

खाने- पीने का शौक तो आजकल हर किसी को होता है लेकिन, स्वादिष्ट खाना बनाकर दूसरों को खिलाना एक बेहतर कला है. यह कला लोगों का दिल भी जीत लेती है और लोगों को जमीन से आसमान तक भी ले जाती है. दीपक तेवतिया का फूड वैन से लग्जरी ढाबा तक का सफ़र इसका जीता- जागता उदाहरण हो सकता है. यह सफर इसलिए भी खास है क्योंकि जब दुनिया में कोरोना के बाद रेस्टोरेंट और ढाबे बंद हो रखे थे तो दीपक ने अपना ढाबा शुरू किया.

दीपक ने तकरीबन 6 साल पहले फ़ूड वैन से फ़रीदाबाद में अपना बिज़नेस शुरू किया था जो अब शानदार काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि जवानी के दिनों में जहां युवा घूमने- फिरने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं. उन दिनों उन्होंने कड़ी मेहनत कर फूड वैन चलाई लेकिन कोरोना के कारण उन्हें काम बंद करना पड़ा. जहां एक तरफ लॉकडाउन में लोगों के काम- धंधे बंद हो गए थे, वहीं उन्होंने यह ढाबा शुरू किया और स्वादिष्ट खाना बनाना शुरू किया. लोगों ने जितना प्यार फूड वैन को दिया था, उतना ही प्यार अब ढाबे पर बने खाने को दे रहे हैं. ढाबे पर हमेशा खाना खाने वालों की भीड़ लगी रहती है.

दीपक के ढाबे की एक और खास बात है जिसके कारण देशभर से फूड ब्लॉगर्स उनके ढाबे पर आते ही रहते हैं. दीपक के अंबर ढाबे पर मिलने वाला 4 फीट का डोसा और डेढ़ फीट का परांठा बेहद स्वादिष्ट व शानदार होता है. इन दोनों खास भोजनों को खाने के लिए लोग दूर- दूर से यहां पर आते हैं. अगर कीमत की बात करें तो 4 फीट के एक डोसे की कीमत करीब 300 रुपए है क्योंकि 300 रुपये के इस डोसे को 3- 4 लोग आराम से खा सकते हैं. वहीं, डेढ़ फीट का परांठा खाकर 2 लोग आराम से अपना पेट भर सकते हैं.

दीपक ने कहा कि 9 साल के संघर्ष भरे जीवन में वह अब उस मुकाम तक पहुंच गए हैं, जहां लोग उन्हें उनके संघर्ष और स्वाद के लिए जानने लगे हैं. इस ढाबे की साज- सज्जा से लेकर मेन्यू तक सब कुछ दीपक ने ही अपनी ओर से तैयार किया है. दीपक ने कहा कि अब वह बस इतना चाहते हैं कि उनके ढाबे के स्वाद में लोगों का विश्वास बरकरार रहे और अंबर ढाबे को ऊंचे स्तर पर ले जाएं.

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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