श्राद्ध के समापन पर पितृ अमावस्या के दिन हरियाणा में खीर पूड़ी हलवा बनाने का रिवाज है। गाय को इसका पहला भोग दिया जाता है। पुण्य कमाने और पितरों की शांति के लिए लगभग पूरे प्रदेश में गायों को भोजन खिलाया जाता है। लेकिन हरियाणा के भिवानी जिले में लोगो ने पुण्य कमाने के चक्कर में पाप कमा लिया और कई गायों की मृत्यु के भागीदार बन गए।
हरियाणा के भिवानी जिले में पितृ अमावस्या के दिन पुण्य कमाने के लिए लोगों द्वारा खिलाए खीर-पूरी और अनाज उनके प्राणों के लिए घातक हो गया। गायों को अत्याधिक खिलाने से उनकी हालत बिगड़ गई और देर शाम तक 15 गायों ने दम तोड़ दिया। ज्यादा खाने से गायें तड़पती हुई सड़क पर गिरकर बेहोश होने लगीं। सूचना मिलने पर पहुंची डॉक्टरों की टीम ने करीब 50 अन्य गंभीर गायों को बचाने के प्रयास शुरू किए।

गोरक्षा जिला प्रधान संजय परमार ने बताया कि अत्याधिक अनाज खाने से करीब 50 गाय गंभीर हो गईं। उनके इलाज में महम रोड स्थित श्री गोशाला ट्रस्ट से सरकारी डॉक्टरों की टीम लगी हुई है। पांच-पांच सदस्यों की डॉक्टरों की टीम शिफ्ट अनुसार गायों का इलाज कर रही है। प्रत्येक आठ घंटे बाद डॉक्टरों की दूसरी टीम इलाज के लिए पहुंच रही है। इलाज बुधवार दोपहर से ही जारी है। गंभीर हालत में दो गायों की बुधवार को और 13 की वीरवार शाम तक मौत हो गई।
भिवानी शहर के नजदीकी गांव नाथुवास में एक, दिनोद में एक, मानहेरू में दो, दो गाय गांव बामला में मरने की खबर है। हालांकि इन गावों में ग्रामीणों ने मृत गायों को वहीं दफनाया दिया। शहर में जिन गायों की मरने की सचना गौरक्षकों को मिली, वे तत्काल मौके पर पहुंचे और दफनाने के लिए ले गए। इसके रोष स्वरूप गो सेवक संजय परमार के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ता मृत गायों के साथ वीरवार देर शाम रोहतक चौक पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर लोगों ने गायों को रोटी और हलवा-पूड़ी खिलाई। इससे गायों की मौत हो गई। गायों को हलवा-पूड़ी खिलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मौके पर पहुंचे एसडीएम और डीएसपी के आश्वासन पर गो सेवकों ने धरना खत्म किया।

गौरक्षक संजय परमार ने बताया कि लोगों को इस बारे में जागरूक किया था। इसके बावजूद भी लोगों ने गायों को ज्यादा पकवान खिला दिए। लोग मानने को तैयार नहीं है। ज्यादा पकवान खिलाने व ज्यादा भोजन दिए जाने की वजह से शहर में 50 गायों की हालत गंभीर बनी है। हालांकि सभी गंभीर गायों को इलाज के लिए गौशाला ले आएं। उन्होंने बताया कि जब तक गाय के पेट का अफारा नहीं उतर जाता, तब तक उसकी हालत सही नहीं कही जा सकती। पकवान व ज्यादा अनाज खाने से पशु के पेट में अफारा बन जाता है। जिसकी वजह से पशु को सही ढंग से सांस नहीं आता। अगर पेट के अंदर बनी गैस को नहीं निकाला जाता। तो पशु का पेट ज्यादा फुल जाता है और कुछ ही देर में पशु दम तोड़ देता है।
मृत गायों को ट्रॉली में डालकर गोसेवक रोहतक चौक पर पहुंच गए और वहां धरना शुरू कर दिया। मामले की सूचना मिलने पर पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया और वहां भीड़ जुट गई। इससे वहां पर जाम की स्थिति बन गई। एक तरफ जहां एसडीएम संदीप अग्रवाल और डीएसपी वीरेंद्र सिंह गोसेवकों को मनाने में जुटे थे, वहीं कुछ पुलिसकर्मी यातायात व्यवस्था को सुचारु करने में जुटे हुए थे।

एसडीएम संदीप अग्रवाल ने गो सेवकों को आश्वासन दिया कि वे इस बारे में शुक्रवार को बैठक करेंगे। वहीं, गोसेवकों ने कहा कि उन्होंने कुछ लोगों की वीडियो बनाई है, जिनको मना करने के बावजूद उन्होंने गायों को रोटी और पूड़ी खिलाई। विरोध करने पर हमला कर दिया। उनके खिलाफ भी एक्शन लिए जाने की मांग रखी। अधिकारियों ने इस बात को भी मान लिया। इसके बाद गो सेवकों ने गो माता के जयकारे के साथ धरना समाप्त कर दिया।
गौ रक्षकों के अलावा जिला प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं ने भी लोगों को अमावस्या के दिन गायों को पकवान व ज्यादा भोजन न खिलाने की गुजारिश की थी। गौरक्षकों का तर्क था कि वे गायों को पकवान खिलाने की बजाय गौशालाओं में भिजवा दे। ताकि वहां अन्य पशुओं को उचित मात्रा में अन्न खिलाया जा सके। अमावस्या के दिन लोग पुण्य कमाने के लिए गायों को पकवान व ज्यादा अन्न खिला देते हैं जो पशुओं की मौत का कारण बन जाता है।

महेंद्रगढ़ में सर्व पितृकार्य अमावस्या पर बुधवार को कच्चे-पक्के भोजन की अधिकता के कारण नदी क्षेत्र स्थित स्थानीय मोदाश्रम के पास दो गाय और दो सांड़ की मौत हो गई। वीरवार सुबह उन्हें विधिवत मिट्टी में दबा दिया गया। हरियाणा गौसेवा आयोग के एससीपीएफ के सदस्य प्रमोद बेवल ने बताया कि दोहान नदी क्षेत्र में मोदाश्रम के आसपास के क्षेत्र में घुमंतू गौवंश रहता है। कनागतों में लोगों द्वारा गायों को पूरी-मांडी, चावल आदि खाद्य पदार्थ खिलाया जाता है। सर्व पितृकार्य अमावस्या पर इसकी अधिकता हो जाती है। जिससे मूक जीवों की जान पर बन आती है।