नगर निगम का एक और घोटाला आया सामने, मशीन की आड़ में सरकार को लगाया करोड़ों का चूना

400 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद नगर निगम में अब एक और बड़े घोटाले की गूंज सुनाई दे रही है। प्राप्त सूचना के अनुसार इस घोटाले के तार भी ऊपर से लेकर नीचे तक जुड़े होने की संभावना है। साथ ही यह भी बताया गया कि इस घोटाले को अंजाम देने में एक ऐसे अधिकारी का नाम सामने आ रहा है जो निगम में अपनी ईमानदार छवि बनाए हुए हैं, उसे प्रशासन के एक बड़े अधिकारी का विश्वासपात्र भी माना जाता है।

लेकिन ये अधिकारी इसी विश्वास की आड़ में इस तरह के बड़े–बड़े कारनामों को अंजाम दे रहा है। स्वीपिंग मशीन से सफाई का यह कथित घोटाला भी इन्हीं कारनामों में से एक है।

धड़ल्ले से बनाए जा रहे थे मशीन के बिल

हैरानी की बात तो यह है कि यह तथाकथित घोटाला ऐसे समय में हो रहा है, जब निगम के पास अपने कर्मचारी व अधिकारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। वहीं स्वीपिंग मशीन की आड़ में लाखों रुपए के बिल धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और आरोपितों को सजा दी जाएगी।

घोटालों की मुख्य सूत्रधार है यह स्वीपिंग मशीन

आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने सड़कों की सफाई के लिए कई स्वीपिंग मशीन इस शहर को दी हैं और यह स्वीपिंग मशीन घोटालों की मुख्य सूत्रधार बन गई हैं। निगम के सैनेटरी विभाग की देखरेख में इन मशीनों से काम करवाया जा रहा है।

हाल ही में इन मशीनों की सारी जानकारी लेने के लिए एक आरटीआई दायर की गई। हैरत की बात तो यह है कि सैनेटरी विभाग के जनसूचना अधिकारी इस आरटीआई का जवाब देने के लिए तैयार नहीं है।

टस से मस नहीं हुए अधिकारी

जब आरटीआई का जवाब देने का समय निकल गया तब भी सैनेटरी विभाग के जनसूचना अधिकारी टस से मस नहीं हुए। इसके बाद प्रथम अपील अधिकारी/ एस.ई. नगर निगम के पास याचिका दायर की गई।

प्रथम अपील अधिकारी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सूचना न देना गलत है। इसलिए जल्द से जल्द प्रार्थी को सूचना उपलबध करवाई जाए। पंरतु इसके बाद भी जनसूचना अधिकारी जवाब देने के लिए तैयार नहीं है।

इसका सीधा सा मतलब यह है कि इस पूरे प्रकरण में करोड़ों रुपए का घोटाला छुपा हुआ है। जिसके चलते जनसूचना अधिकारी स्वीपिंग मशीनों के संचालन को लेकर सारी जानकारी छुपाए बैठे हैं।

कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता उनका

प्राप्त सूचना के अनुसार बताया गया कि जन सूचना अधिकारी को न तो प्रथम अपील अधिकारी द्वारा की जाने वाली किसी कार्यवाही का डर है और न ही चंडीगढ़ बैठे द्वितीय अपील अधिकारी का।

वह ये सोचते हैं कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, 25 हजार रुपए का जुर्माना लगने के बाद वह इस जुर्माने को भर देंगे और मामले को रफा दफा कर अपना काम जारी रखेंगे। इसी सोच के कारण जनसूचना अधिकारी इस कथित घोटाले की जानकारी को अपनी कुर्सी के नीचे छुपाए बैठा है।

Anila Bansal

I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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